हर हफ्ते निकलवाया खून और लिखे गए 605 पन्नें, बगदाद के मस्जिद में रखी है सद्दाम हुसैन की ब्लड कुरान

किसी के लिए आतंक का दूसरा नाम तो किसी के लिए मसीहा, सद्दाम हुसैन एक ऐसा विवादित नाम जिसके बारे में कई किस्से और कहानियां मशहूर हैं। 5 नवंबर यानी आज ही के दिन ठीक 17 साल पहले तानाशाह हुसैन को फांसी की सजा सुनाई गई थी। फिर दो दशक तक इराक पर हुकूमत करने वाले सद्दाम हुसैन को 30 सितंबर 2006 को फांसी दे दी गई थी। लेकिन सद्दाम हुसैन से जुड़ी कई कहानियां हैं जो वक्त बे वक्त सामने आती रहती हैं। कहा जाता है कि सद्दाम हुसैन ने अपने 27 लीटर खून से कुरान लिखवाई थी। 

ब्लड कुरान के नाम से है चर्चित  

कॉन कफलिन जिन्होंने सद्दाम हुसैन की जीवनी लिखी है, उन्होंने ने भी ब्लड कुरान का जिक्र किया है। ब्लड कुरान के नाम से चर्चित इस कुरान को बगदाद की एक मस्जिद में रखा गया था। बाद में जब साल 2006 में सद्दाम हुसैन को फांसी दी गई तो उसके बाद इस कुरान के सार्वजनिक प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई। 

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114 अध्यायों को 605 पन्नों में लिखवाया

1990 के दशक में सद्दाम हुसैन ने अपने खून से कुरान लिखावाई थी। अंग्रेजी अखबार द गार्डियन की एक रिपोर्ट के अनुसार सद्दाम ने अल्लाह के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए कुरान के सभी 114 अध्यायों को 605 पन्नों में दर्ज किया था। इस सभी 605 पन्नों को लेकर देख सकें। इसके लिए इन्हें शीशे के केस में सजा कर रखा गया था। 

हर हफ्ते निकलवाता था अपना खून

करीब 2 साल तक सद्दाम हुसैन ने हर हफ्ते अपना खून दिया। इससे लिए वो करीब एक हफ्ते एक नर्स के पास जाकर अपना बाजू पेश करता था। फिर नर्स उसके हाथ से खून निकाल लेती। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 605 कुरान के पन्नों को लिखने के लिए सद्दाम हुसैन ने अपना 24 लीटर खून दिया। 

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