दिल्ली में पटाखों पर रोक का कितना होगा असर? सर्वे में लोगों ने बताया अपना प्लान

दिवाली रोशनी का त्योहार है। इस मौके पर एक तरफ जहां लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं, वहीं पटाखे जलाना भी इस पर्व का एक अहम हिस्सा माना जाता है। दिल्ली-एनसीआर में त्योहार को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। दिवाली पर पटाखे जलाने को लेकर दिल्ली-एनसीआर में लोकल सर्किल द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 10 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि वह दिल्ली में पहले ही पटाखे खरीद चुके हैं। 20 फीसदी ने कहा है कि उन्होंने एनसीआर के अन्य शहरों से पटाखे खरीदे हैं। यह दर्शाता है कि ऐसी बस्तुओं की बिक्री पर प्रतिबंध नहीं है। सर्वेक्षण को दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के सभी जिलों के निवासियों से 10 हजार से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं। उत्तर देने वालों में 79 फीसदी पुरुष थे जबकि 31 फीसदी महिलाएं थीं। 

61 प्रतिशत ने कहा, नहीं जलाएंगे
सर्वेक्षण के मुताबिक, 61 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वह कोई पटाखे नहीं जलाएंगे। उनका मानना है कि पटाखे प्रदूषण का कारण बनते हैं और वह लोग प्रतिबंध का पालन कर रहे हैं। सर्वेक्षण के परिणाम की तुलना करने पर पता चला कि पटाखे जलाने वाले परिवारों का प्रतिशत 2018 के बाद से पांच साल की अवधि में इस वर्ष सर्वाधिक होने की संभावना है।

10 फीसदी लोग पहले ही कर चुके खरीदारी
दिवाली पर पटाखे जलाने को लेकर दिल्ली-एनसीआर में लोकल सर्किल द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 10 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वह दिल्ली में दुकानों से पहले ही पटाखे खरीद चुके हैं, जबकि 20 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने एनसीआर के अन्य शहरों से पटाखे खरीदे हैं, यह दर्शाता है कि ऐसी वस्तुओं की बिक्री पर प्रतिबंध नहीं है। सर्वेक्षण को दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के सभी जिलों के निवासियों से 10,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं। उत्तरदाताओं में 79 प्रतिशत पुरुष थे, जबकि 31 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं।

दिल्ली में पटाखे जलाना है प्रतिबंधित
दिल्ली सरकार ने हाल ही में घोषणा की थी कि शहर में पटाखों का निर्माण, भंडारण या बिक्री करने पर तीन साल की जेल और 5,000 रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है। दिवाली पर शहर में पटाखे जलाने पर छह महीने तक की जेल और 200 रुपये का जुर्माना हो सकता है।

2018 में 32 परिवारों ने की थी आतिशबाजी
2018 में 32 प्रतिशत ऐसे परिवारों के मुकाबले, 2019 में 35 हो गया, लेकिन 2021 में कोविड की दूसरी लहर के बाद यह गिरकर 32 फीसदी हो गया था। इस साल एनसीआर में पटाखों पर कोई प्रतिबंध नहीं होने के कारण 39 फीसदी परिवार पटाखे जलाने की योजना बना रहे हैं।

घरों में स्टॉक किया
आलम यह है कि कुछ लोगों ने त्योहार से पहले ही दुकानों से पटाखे खरीदकर घरों में स्टॉक कर लिया है। सर्वे के मुताबिक, इस बार दिवाली के मौके पर दिल्ली-एनसीआर में घरों में पटाखे जलाने का प्रतिशत पांच साल में सबसे ज्यादा हो सकता है, क्योंकि हर पांच में से दो परिवारों के इस गतिविधि में शामिल होने की संभावना है।

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