डेल स्टेन का दावा ‘संजू सैमसन में है युवराज जैसी काबिलियत, एक ओवर में लगा सकते हैं 6 छक्के’

दिल्ली: साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहले वनडे में संजू सैमसन की नाबाद 86 रनों की पारी के देखने के बाद हर कोई इस युवा भारतीय बल्लेबाजी की तारीफ कर रहा है। सैमसन हालांकि टीम को जीत नहीं दिला पाए, मगर उनकी यह पारी तारीफ योग्य है। मैच के बाद साउथ अफ्रीका के पूर्व तेज गेंदबाज डेल स्टेन ने भी सैमसन की जमकर तारीफ की। इस दौरान उन्होंने सैमसन की तुलना युवराज सिंह से भी की।

मैच के बाद स्टार स्पोर्ट्स पर डेल स्टेन ने कहा ‘जैसे ही कगिसो रबाडा ने अपने ओवर की आखिरी गेंद पर वह नो बॉल फेंकी, मैं ऐसा था, ‘प्लीज ऐसा न होने दें’। क्योंकि आप नहीं जानते संजू जैसा खिलाड़ी क्या करेगा, खासकर तब जब उसके पास वो फॉर्म और विश्वास है। मैंने उसे आईपीएल में देखा था, गेंदबाजों को नीचे गिराने और बाउंड्री मारने की उनकी क्षमता, विशेष रूप से खेल के अंतिम 2 ओवरों में, अविश्वसनीय है।’

उन्होंने आगे कहा ‘शम्सी आखिरी ओवर करने जा रहा था और सैमसन जानता था कि उनका (शम्सी) का दिन खराब है। जब रबाडा ने नो बॉल फेंकी तो मैं नर्वस था। क्योंकि संजू एक ऐसा खिलाड़ी है जिसमें युवी की क्षमता है, जो उन छह छक्कों को हिट कर सकता है और जब उसे 30+ की आवश्यकता हो। ऐसे में वह टीम को जीता सकता है।’

बात मुकाबले की करें तो दक्षिण अफ्रीका ने संजू सैमसन (86 नाबाद) और श्रेयस अय्यर (50) के जुझारू अर्द्धशतकों के बावजूद भारत को वर्षाबाधित पहले वनडे मैच में गुरुवार को नौ रन से मात दी। दक्षिण अफ्रीका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत को 40 ओवर में 250 रन का लक्ष्य दिया। इसके जवाब में भारतीय टीम आठ विकेट के नुकसान पर 240 रन ही बना सकी। 

दक्षिण अफ्रीका को मुश्किल विकेट पर चुनौतीपूर्ण स्कोर तक पहुंचाने के लिए डेविड मिलर और हेनरिक क्लासेन ने 139 रन की शतकीय साझेदारी की। मिलर ने 63 गेंदों पर पांच चौकों और तीन छक्कों की बदौलत नाबाद 75 रन बनाए, जबकि क्लासेन ने 65 गेंदों पर छह चौके और दो छक्के लगाते हुए 74 रन की नाबाद पारी खेली। भारत को इस लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए सैमसन और अय्यर ने कड़ा संघर्ष किया। सैमसन ने 63 गेंदों पर नौ चौकों और तीन छक्कों की बदौलत 86 रन बनाए, जबकि अय्यर ने 37 गेंदों पर 50 रन की पारी खेली। इसके बाद शार्दुल ठाकुर ने भी संघर्ष करते हुए 31 गेंदों पर पांच चौकों के साथ 33 रन बनाए, लेकिन ऊपरी क्रम की असफलता के कारण भारत के लिए लक्ष्य तक पहुंचना असंभव साबित हुआ। 

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