बैन के बाद PFI को एक और झटका, केरल हाई कोर्ट ने 5.20 करोड़ रुपये का भुगतान करने का दिया निर्देश
तिरुवंतपुरम : आतंकी गतिविधियों के साथ संपर्क में रहने और देश विरोधी कामों में संलिप्तता पाए जाने पर केंद्र सरकार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर पांच साल के लिए बैन लगा चुकी है। गुरुवार को केरल हाई कोर्ट ने पीएएफआई को दो सप्ताह में 5.20 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। बता दें कि कोर्ट ने यह आदेश पिछले सप्ताह समूह के परिसरों और इससे जुड़े लोगों के छापे के खिलाफ बंद के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए सुनाया है।
न्यायमूर्ति एके जयशंकरन नांबियार और सी पी मोहम्मद नियास की खंडपीठ ने निचली अदालतों को निर्देश दिया कि जब तक नुकसान का भुगतान नहीं किया जाता तब तक आरोपी को जमानत नहीं दी जाए। अदालत ने सरकार को बंद का आह्वान करने वाले पीएफआई के राज्य सचिव ए अब्दुल सत्तार को बंद के दौरान हिंसा के संबंध में दर्ज सभी मामलों में आरोपी बनाने का निर्देश दिया।
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पीठ ने कहा, “नागरिकों के जीवन को खतरे में नहीं डाला जा सकता है। संदेश जोर से और स्पष्ट है। अगर कोई ऐसा करता है, तो इसका परिणाम भुगतना होगा। आप किसी भी कारण से अपना संगठन और प्रदर्शन कर सकते हैं। संविधान इसकी इजाजत देता है, लेकिन अचानक हड़ताल नहीं की जा सकती है।”
कोर्ट ने कहा कि अगर नुकसान का भुगतान नहीं किया गया तो उनकी संपत्तियों की कुर्की सहित सख्त कार्रवाई शुरू की जा सकती है। केरल राज्य सड़क परिवहन निगम ने पहले अदालत को सूचित किया था कि बंद के दौरान हुई हिंसा में उसकी 58 बसें क्षतिग्रस्त और 20 कर्मचारी घायल हुए थे।