इंश्योरेंस लेते समय नहीं दिया पुरानी बीमारी का ब्योरा तो होगी बड़ी परेशानी, बचने के लिए क्या करें?

दिल्ली : भविष्य में होने वाली किसी भी बीमारी या एक्सीडेंट के इलाज का खर्च उठाने के लिए आप हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते हैं. लेकिन अगर आपने पहले से मौजूद किसी बीमारी के बारे में इंश्योरेस सेवा देने वाली कंपनी को नहीं बताया तो कंपनी आपका क्लेम रिजेक्ट कर सकती है. केवल इतना ही नहीं, कंपनी आपकी पॉलिसी पूरी तरह रद्द कर सकती है.

इंश्योरेंस खरीदते समय जब आप पुरानी बीमारी के बारे में कंपनी को बताते हैं तो वह कुछ प्रीमियम और वेटिंग पीरियड (1-4 साल का) के साथ उस बीमारी को भी कवर में शामिल कर लेती है. हालांकि, लोग प्रीमियम से बचने के लिए इसके बारे में कंपनी को नहीं बताते हैं. ऐसे में उस बीमारी के इलाज के समय परेशानी खड़ी हो जाती है. मनीकंट्रोल में छपे एक लेख के अनुसार, आप ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए कुछ कदम उठा सकते हैं.

फ्री-लुक पीरियड में सुधारें गलती
इंश्योरेंस खरीदने के 15 दिन के अंदर आपको फ्री-लुक पीरियड मिलता है. इस दौरान आप पॉलिसी कैंसिल भी कर सकते हैं और उसमें कुछ बदलाव भी कर सकते हैं. टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस के प्रमुख पराग वेद कहते हैं कि अगर आप फ्री-लुक पीरियड में ये बदलाव पुरानी बीमारियों को डिस्क्लोज करते हैं को इंश्योरेंस कंपनी नियमों के मुताबिक उसे पॉलिसी में शामिल कर सकती है. अगर आप ये मौका चूकते हैं तो आपके लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो जाएगी. केवल छुपाना ही नहीं, बीमारी को गलत तरह से दिखाना या उसके बारे में पूरी जानकारी न देना भी आपकी पॉलिसी पर असर डाल सकता है. हालांकि, अगर आपने लगातार 8 साल तक प्रीमियम भरा है तब आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है. तब आपकी पॉलिसी कैंसल नहीं होगी.

रिन्यूअल के समय करें बदलाव
समय-समय पर पॉलिसी को रिन्यू करने की जरूरत पड़ती है. आप भी ऐसे मौके का फायदा उठाकर अपनी गलती सुधार सकते हैं. बेशक यह तय नहीं है कि आपको इसका फायदा मिलेगा ही लेकिन इंश्योरेंस कंपनी के सामने तीजों को रख देना छुपाने से बेहतर विकल्प है. उसके बाद इंश्योरर पर निर्भर करता है कि वह आपकी पॉलिसी को खत्म कर दे या फिर प्रीमियम लेकर बीमारी को उसमें ऐड कर ले. लेकिन ऐसा कोई भी कदम उठाने से पहले आपको एक बैकअप तैयार करना चाहिए. पहले से कोई पॉलिसी देख कर रखें ताकि पुरानी पॉलिसी कैंसल होने पर आप तुरंत वहां स्विच कर सकें.

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