बांग्लादेश : हिंदुओं पर हमले का नया पैटर्न,कट्टरपंथियों के निशाने पर हिंदू टीचर
दिल्लीः हिंदुओं पर हमले का नया पैटर्न।
‘हिंदू महिलाएं बिलख रही थीं, घरों और दुकानों में आग लगा दी गई थी। हर चेहरे पर खौफ था। बांग्लादेश के हिंदू दशकों से इस खौफ के साए में जी रहे हैं, लेकिन अब ये दहशत उन इलाकों में भी पहुंच रही है, जहां पहले ऐसा नहीं हुआ था।’
ये कहना है बांग्लादेश में हिंदुओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता निर्मल चटर्जी का, जो हाल में हिंसाग्रस्त रहे नड़ाइल जिले के दघाइल गांव का दौरा करके लौटे हैं। यहां दो सप्ताह पहले एक कथित विवादित फेसबुक पोस्ट के बाद हिंदुओं को निशाना बनाया गया था।
निर्मल चटर्जी कहते हैं- हिंदुओं के घरों और दुकानों को लूट लिया गया। महिलाओं के गहने भी छीन लिए गए। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले की ये कोई पहली या अकेली घटना नहीं है। इसी साल मार्च में भीड़ ने एक हिंदू मंदिर पर हमला कर दिया था। बाद में प्रशासन ने इसे प्रॉपर्टी विवाद से जुड़ा बताया था।
अक्टूबर 2021 में कई जिलों में हिंदुओं पर हमले हुए थे। दुर्गा पूजा के दौरान हुए इन हमलों में कम से कम दो लोगों की मौत हुई थी और दर्जनों घायल हुए थे। मुसलमानों की भीड़ ने कई शहरों में दुर्गा पंडालों पर हमले किए। ये हमले भी कथित तौर पर कुरान के अपमान के आरोप के बाद हुए थे।
साल 2016 में नसीरनगर में हिंदुओं पर बड़ा हमला हुआ था। 19 मंदिर तोड़ दिए गए थे और 300 से अधिक हिंदू घरों को निशाना बनाया गया था। इस हमले में सौ से अधिक लोग घायल हुए थे। इससे पहले 2012 कॉक्स बाजार जिले के रामू उप जिले में अल्पसंख्यक बौद्धों को निशाना बनाकर बड़े हमले किए गए थे। ये हमले भी एक विवादित फेसबुक पोस्ट के बाद ही हुए थे।
2013 में इसी तरह हिंदुओं पर योजनाबद्ध हमले हुए थे और सैकड़ों घरों को निशाना बनाया गया था। बांग्लादेश में मानवाधिकारों और कानूनी अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन आईन ओ सालिश केंद्र के मुताबिक बांग्लादेश में साल 2013 से 2022 के बीच हिंदुओं के 1642 घरों और 456 दुकानों और व्यापारिक ठिकानों पर हमला किया गया।