कलेक्टर साहब ने कुर्ता-पायजामा पहने टीचर को क्यों सुनाई खरी-खोटी ?
दिल्लीः
बिहार के लखीसराय के कलेक्टर संजय कुमार सिंह इन दिनों काफी चर्चा में हैं. उनके सुर्खियों में आने की वजह सोशल मीडिया में वायरल एक वीडियो है, जिसमें वह जिले के बालगुदर में स्थित एक स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे थे. स्कूल में खामियों को देखते हुए डीएम संजय कुमार सिंह ने शिक्षक को कड़ी फटकार लगाई. साथ ही उन्होंने टीचर की वेश-भूषा पर भी टिप्पणी की. दरअसल, कलेक्टर के विद्यालय निरीक्षण के दौरान शिक्षक ने कुर्ता-पायजामा पहन रखा था और कंधे पर गमछा भी रखा हुआ था. इस वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर लोग दो हिस्सों में बंट गए. एक पक्ष ने जहां कलेक्टर के सख्त तेवर का समर्थन किया तो दूसरे पक्ष के लोगों ने टीचर के पहनावे पर टिप्पणी करने को लेकर उनकी आलोचना की है. इस बीच, कलेक्टर संजय कुमार सिंह ने खुद पूरे वाकये के बारे में बताया है.
कलेक्टर संजय कुमार सिंह जब जिले में स्थित बालगुदर कन्या विद्यालय का निरीक्षण करने पहुंचे तो वहां तमाम तरह की खामियां पाईं. स्कूल में बिजली की सुविधा होने के बावजूद क्लासरूम में बल्ब नहीं लगा हुआ था, ऐसे में बच्चे अंधेरे में पढ़ रहे थे. लखीसराय के डीएम ने जब टीचर से इस पर सवाल पूछा तो वह ठीक तरीके से जवाब नहीं दे सके. इससे वह भड़क गए और शिक्षक से कहा कि पहनावे से वह टीचर नहीं, बल्कि जनप्रतिनिधि लग रहे हैं. इसी बात को लेकर कलेक्टर संजय कुमार सिंह की आलोचना हो रही है. लखीसराय के डीएम ने इस मसले पर कहा, ‘एक छोटे से इश्यू का प्रचार किया गया है. वह तो अंतिम सीन (टीचर के पहनावे पर टिप्पणी) था. हमलोगों ने 1 घंटे तक उस स्कूल (बालगुदर कन्या विद्यालय) का निरीक्षण किया था. निरीक्षण के दौरान हमने पाया कि हेडमास्टर के द्वारा स्कूल में जो व्यवस्था की जानी चाहिए थी, वह ठीक तरीके से नहीं की गई थी. यहां तक की हमलोगों ने हेडमास्टर के कमरे में बिजली और पंखे की सुविधा देखी, लेकिन किसी भी क्लारूम में लाइट और पंखा नहीं लगा था.’
‘टीचर के कुर्ते का बटन खुला हुआ, कंधे पर गमछा’
कलेक्टर संजय कुमार सिंह ने बताया कि स्कूल निरीक्षण के अंतिम समय में जब हमलोग निकल रहे थे हमने देखा कि हेडमास्टर के कुर्ते का बटन खुला हुआ है और कंधे पर गमछा रखे हुए हैं. उन्होंने कहा कि हमलोगों ने कुर्ता ठीक करवाया और गमछा हटवाया. डीएम संजय सिंह ने कहा, ‘हमने उनसे (हेडमास्टर) यही कहा कि आपका पोशाक कहीं से शिक्षक का नहीं लग रहा है. शिक्षक समाज के लिए आदर्श होते हैं. छात्र उनको अपना आदर्श मानते हैं. कुर्ता-पायजामा से हमारा कोई विरोध नहीं है. हमने बस उनसे इतना कहा कि आपको इस तरह से रहना चाहिए कि लोगों के बीच आदर्श स्थापित हो सके. हालांकि, बाद में हमको भी लगा कि किसी के पोशाक पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. मुझे उम्मीद है कि सोशल मीडिया पर लोग जिम्मेदारी से व्यवहार करेंगे और बस एक छोटा सा क्लिप देखकर अपनी राय नहीं बनाएंगे.’