आठ साल पहले दर्ज हुआ रेप केस FIR, 2022 में 164 का बयान दर्ज कराने पीड़िता को कोर्ट लाई पुलिस
दिल्लीः बिहार के मुजफ्फरपुर में रेप केस जैसे कांड में पुलिस की लापरवाही का एक अति गंभीर मामला सामने आया है। दुष्कर्म का जो केस आज से आठ साल पहले दर्ज हुआ था उसमें 164 का बयान दर्ज कराने के लिए पीड़िता को गुरुवार को कोर्ट लाया गया। कोर्ट ने 164 का बयान दर्ज करने से मना कर दिया है। मामला हथौड़ी थाना इलाके का है।
प्राथमिकी दर्ज कराने गई पीड़िता को भगा दिया गया था थाने से
पीड़िता का कहना है कि आठ साल पहले उसके साथ दुष्कर्म हुआ। गांव का ही गणेश पंडित जमीन व रुपये देने का प्रलोभन देकर दुष्कर्म कर रहा था। बाद में जमीन व रुपया देने से इंकार कर दिया। तब इसकी शिकायत करने उसके घर गई तो उसके परिवार के मुरारी पंडित और सरोज पंडित ने मारपीट कर भगा दिया। आठ साल पहले हुई इस घटना की प्राथमिकी दर्ज कराने हथौड़ी थाने में गई, लेकिन पुलिस ने थाने से भगा दिया था। तब कोर्ट में परिवाद दायर कराया।
पांच साल बाद गिरफ्तार हुआ था मुख्य आरोपित
कोर्ट के आदेश पर हथौड़ी थाने की पुलिस ने 22 मई 2014 को प्राथमिकी दर्ज की थी। इसके बाद भी दबंग आरोपितों पर पांच साल तक पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस दौरान आरोपित की गिरफ्तारी के लिए संघर्ष करती रही। दर्जनों बार अधिकारियों के कार्यालय में आवेदन दिया। लेकिन, हथौड़ी पुलिस केस दबाकर बैठी रही।
नहीं दर्ज हो सका पीड़िता का बयान
164 के तहत बयान दर्ज कराने के लिए पीड़िता को कोर्ट लेकर आए कांड के आईओ जीतेंद्र कुमार ने बताया कि केस लंबित चल रहा था। वरीय अधिकारियों की समीक्षा में केस के लंबित रहने का मामला सामने आया, जिसके बाद पीड़िता का बयान दर्ज कराने का निर्देश दिया गया। हालांकि न्यायालय में लायी गई पीड़िता का बयान दर्ज नहीं हो सका। एडीजे
ने पुलिस के आवेदन देने पर सुनवाई करते हुए कहा कि जब मुख्य आरेपित पर न्यायालय में ट्रायल चल रहा है तो अलग से 164 का बयान का कोई मतलब नहीं है। पीड़िता अपनी बातें गवाही के दौरान ही कोर्ट को बता सकती है। इसके बाद आईओ जीतेंद्र कुमार पीड़िता को वापस हथौड़ी ले गए।