छत्तीसगढ़ को हर साल 900 करोड़ का होगा नुकसान
रायपुर। छत्तीसगढ़ के कोल ब्लाक की नीलामी के बाद मिलने वाले राजस्व में करीब 900 करोड़ का झटका लग सकता है। केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिला स्थित गारे-पेलमा कोल ब्लाक की नीलामी की है।
इस ब्लाक के लिए पहले 1,585 रुपये की बोली लगी थी, लेकिन नीलामी को रद कर दिया गया। अब हुई नीलामी में कोयला 342.25 रुपये प्रति टन के दाम पर बेचा गया है।
यह पांच साल पहले की उस कीमत के एक चौथाई से भी कम है, जिसे सरकार ने बहुत कम कहकर खारिज किया था। छत्तीसगढ़ के जीएसटी मंत्री टीएस सिंहदेव ने केंद्र सरकार की नीति को अमेजिंग (आश्चर्यजनक) मोदीनामिक्स करार दिया है।
सिंहदेव ने कहा कि बोलीकर्ता को राज्य सरकार के राजस्व की कीमत पर सहूलियत भाजपा सरकार में ही मिल सकती है।
कोयला खनन से मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल छत्तीसगढ़ के विकास की कई योजनाओं को पूरा करने में किया जा सकता है, लेकिन केंद्र सरकार इसकी अनदेखी करके मनमाने तरीके से नीलामी कर रही है।
2015 में चोटिया कोल ब्लाक की नीलामी 3,200 रुपये प्रति टन में की गई थी। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन (सीबीए) के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा कि गारे-पेलमा 4/1 में कम बोली मिलने का सीधा नुकसान छत्तीसगढ़ राज्य सरकार को होगा, क्योंकि इन खदानों से अब बहुत कम राजस्व की प्राप्ति होगी। य
ही नहीं, खदान क्षेत्रों के पर्यावरण तथा आदिवासी समुदायों के विस्थापन पर भी असर पड़ेगा। शुक्ला ने कहा कि 2015 के बाद आवंटित 72 में से सिर्फ 20 खदानें ही प्रारंभ हुई है। जबकि 50 से अधिक खदानों में अभी तक खनन शुरू नहीं हो पाया है।