महज पांच दिन के मासूम ने जीती कोरोना से जंग
नईदिल्ली। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती देश के सबसे छोटे कोरोना पीड़ित मरीज को लक्षण न होने पर अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। पांच दिन का यह मासूम अभी तक देश में सबसे कम उम्र का कोरोना मरीज बताया जा रहा है। फिलहाल उसे घर पर ही क्वारंटाइन किया गया है।
दरअसल, 13 मई को अस्पताल में कोरोना पीड़ित गर्भवती ने एक बच्चे को जन्म दिया। नीकू के डॉ. तापस व अन्य चिकित्सकों ने बच्चे की पांच दिन बाद 18 मई को जांच कराई गई तो उसे कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। डॉक्टरों ने एहतियात के साथ बच्चे को रखा। डॉक्टरों का कहना है सिर्फ पांच दिन के बच्चे को जब कोरोना संक्रमण हुआ तो हमनें सावधानी बरती और बच्चा बिल्कुल स्वस्थ्य है।
14 दिन बाद जांच : चिकित्सकों ने बताया कि बच्चा घर पर परिजनों के साथ है। वहां बच्चे को सावधानी के साथ मां का दूध पिलाने के लिए कहा है। अस्पताल की टीम दिन में दो बार कॉल कर बच्चे का हाल चाल लेती है। वह स्वस्थ्य है। हम 14 दिन बाद उसकी फिर से जांच कराएंगे।
बच्चों में खतरा कम: डॉ. राहुल चौधरी ने बताया कि अभी जितने शोध सामने आए हैं, उनके मुताबिक बच्चों को कोरोना से वयस्कों के मुकाबले कम खतरा है। एक शोध के मुताबिक बच्चों की नाक में मौजूद एपिथिलियमी ऊतकों में कोविड-19 रिसेप्टर एसीई 2 की मात्रा बहुत कम होती है। अमेरिका के माउंट सिनाई में इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने पाया है कि सार्स-सीओवी-2 किसी भी सजीव शरीर में प्रवेश करने के लिए रिसेप्टर एसीई 2 का उपयोग करता है।
किसी तरह के लक्षण नहीं दिखे: दिल्ली के पटेल नगर के रहने वाले एक व्यक्ति का यह बच्चा भले ही कोरोना संक्रमण की चपेट में आया हो लेकिन इसे किसी भी तरह के लक्षण नहीं आए। आरएमएल अस्पताल के नवजात शिशु रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर राहुल चौधरी ने बताया कि इस बच्चे को न तो बुखार था और न ही कोई और लक्षण। कोरोना संक्रमण को छोड़कर बच्चे की अन्य जांच रिपोर्ट भी सामान्य आईं। इसके बाद हमने बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी।
कई शोध में देखा गया है कि कोविड-19 का वायरस बच्चों के फेफड़ों में न जाकर ऊपरी हिस्सों यानी नाक, मुंह, गले तक ही सीमित रहता है और उन्हें खांसी, नजले जैसी मामूली शिकायत होती है। यही वजह है कि बच्चों में कोरोना के लक्षण वयस्कों जैसे नजर नहीं आते और न ही उनमें ये वायरस मौत की वजह बनता है।