इंडिया ऑप्टेल ने फ्रांसीसी कंपनी सैफरान के साथ किया समझौता, क्या हैं इसके मायने?

इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (आईओएल) और फ्रांसीसी कंपनी सैफरान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड डिफेंस ने रक्षा समझौता किया है। इसके तहत दो युद्धक प्रणालियों का विकास होगा, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिलेगा और रक्षा विनिर्माण इकोसिस्टम मजबूत होगा। इन प्रणालियों में सिग्मा 30एन नेविगेशन प्रणाली और सीएम3-एमआर डायरेक्ट फायरिंग साइट शामिल हैं। यह समझौता नई दिल्ली में हुआ, जिससे भारतीय सेना की क्षमता में वृद्धि होगी।

रक्षा क्षेत्र की सरकारी कंपनी इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (आईओएल) ने फ्रांसीसी कंपनी सैफरान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड डिफेंस के साथ सोमवार को रक्षा समझौता किया। इस समझौते के तहत सटीक हमले करने में सक्षम दो महत्वपूर्ण युद्धक प्रणालियों को विकसित किया जाएगा।

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस समझौते से ‘मेक इन इंडिया’ के अनुरूप भारत में इन उन्नत प्रणालियों के निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा। इससे भारत का रक्षा विनिर्माण इकोसिस्टम मजबूत होगा। इन दो युद्ध प्रणालियों में सिग्मा 30एन डिजिटल रिंग लेजर इनर्शियल नेविगेशन प्रणाली शामिल है, जिसका उपयोग तोपखाने, डिफेंस सिस्टम, मिसाइलों और रडारों में किया जाता है। सीएम3-एमआर डायरेक्ट फायरिंग साइट को भी बनाया जाएगा ,जिसे तोपखाने और ड्रोन रोधी प्रणालियों के लिए डिजाइन किया गया है।

सहयोग समझौते पर हुए हस्ताक्षर

नई दिल्ली में रक्षा उत्पादन विभाग के सचिव संजीव कुमार, आईओएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक तुषार त्रिपाठी और सैफरान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड डिफेंस के रक्षा वैश्विक व्यापार यूनिट के प्रमुख एलेक्जेंडर जिग्लर की उपस्थिति में सोमवार को इस सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

साझेदारी के तहत आईओएल इन युद्ध प्रणालियों के निर्माण, असेंबली, परीक्षण, गुणवत्ता नियंत्रण करेगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सिस्टम भारतीय सेना की जरूरतों को पूरा करें।

साझेदारी के फायदे?

यह साझेदारी भारत में आईओएल की औद्योगिक क्षमताओं और सैफरान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड डिफेंस की उच्च स्तरीय इनर्शियल नेविगेशन और अग्नि-नियंत्रण प्रौद्योगिकियों में मान्यता प्राप्त विशेषज्ञता के संयोजन से देश के रक्षा विनिर्माण इकोसिस्टम को मजबूत करने के साथ-साथ थलसेना की क्षमता को बढ़ाने में योगदान देगी।

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