यूपी में 15 हजार करोड़ का होगा निवेश, हल्दीराम स्नैक्स की लगेगी यूनिट; जानिए कैबिनेट के बड़े फैसले

सीएम योगी की अध्यक्षता में सोमवार को कैबिनेट की अहम बैठक हुई। इस बैठक में 15189.7 करोड़ के निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार सुबह हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में 15189.7 करोड़ के निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इसके तहत मिर्जापुर, हरदोई, बुलंदशहर, रायबरेली, गौतमबुद्धनगर, सोनभद्र, मेरठ, मुजफ्फरनगर, अलीगढ़ में मेगा एवं सुपर मेगा श्रेणी की 12 औद्योगिक इकाइयों को जल्द लेटर ऑफ कंफर्ट (सहमति पत्र) जारी किया जाएगा।

औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने कहा कि यूपी निवेश का प्रमुख गंतव्य बन कर उभरा है। निवेशक प्रदेश में निवेश के लिए स्वयं आगे आ रहे हैं। हर निवेश प्रस्ताव को धरातल पर साकार करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रत्येक उद्यमी यूपी का मित्र है।

इन इकाइयों को जारी होंगे सहमति पत्र

उन्होंने बताया कि अर्थस्टार वेंचर्स को मिर्जापुर में 549.26 करोड़ की लागत से आयरन एवं स्टील प्लांट के लिए, अपोलो कोटेड प्रोडक्ट्स को सिकंदराबाद बुलंदशहर में 350 करोड़ की लागत से कोल्ड रोलिंग मिल के लिए़, हल्दीराम स्नैक्स मैन्युफैक्चरिंग प्रालि को हरदोई में 349.27 करोड़ की लागत से स्नैक्स प्लांट के लिए, श्री भवानी पेपर मिल्स को रायबरेली में 305 करोड़ से पेपर मिल के लिए, ड्रीमटेक इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया प्रालि को ग्रेटर नोएडा में 414.88 करोड़ की लागत से प्रिंटेड सर्किट बोर्ड प्लांट के लिए़, एसीसी लिमिटेड सलाई बनवा ग्रीनफील्ड ग्राइडिंग यूनिट को सोनभद्र में 803 करोड़ की लागत से सीमेंट उत्पादन के लिए और एनएसएल रिन्यूएबल पॉवर को मेरठ में 4499.51 करोड़ की लागत से सोलर इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग पार्क के लिए लेटर ऑफ कंफर्ट जारी होंगे।

नोएडा में इन्हें मिलेंगे सहमति पत्र

अंबर इंटरप्राइजेज इंडिया को गौतमबुद्धनगर के यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र में 3.53 करोड़ की लागत से उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स प्लांट के लिए, एसेंटके सर्किट को गौतमबुद्धनगर में 3.25 करोड़ की लागत से पीसीवी एवं सेमी कंडक्टर प्लांट, स्वरूप स्टील इंडस्ट्रीज प्रालि को मुजफ्फरनगर के जानसठ क्षेत्र में 266.70 करोड़ की लागत से टीमटी स्टील्स प्लांट के लिए, अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड को अलीगढ़ के कासिमपुर में 628 करोड़ की लागत से सीमेंट उत्पादन शुरू करने के लिए और अंबा शक्ति स्टील्स को मुजफ्फरनगर में 241.50 करोड़ की लागत से स्टील्स उत्पादन शुरू करने के लिए सहमति पत्र जारी होंगे।

भदोही स्थित काशी नरेश राज्य विवि में नए सत्र से शुरू होगा प्रवेश

प्रदेश में दो नए राज्य विश्वविद्यालयों के संचालन का रास्ता साफ हो गया है। प्रदेश कैबिनेट ने सोमवार को काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर, भदोही को काशी नरेश विश्वविद्यालय, भदोही के रूप में स्थापित करने संबंधित संशोधन को हरी झंडी दे दी है। इसी तरह मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट के अंतर्गत आने वाली ईकाइयों को उच्चीकृत करते हुए स्वामी शुकदेवानंद विश्वविद्यालय, शाहजहांपुर की स्थापना के लिए उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन को हरी झंडी दी है।

उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि काशी नरेश राज्य विश्वविद्यालय में नए शैक्षिक सत्र 2026-27 में प्रथम वर्ष में प्रवेश किया जाएगा। यहां की वर्तमान जमीन के साथ ही भविष्य की आवश्यकता को देखते हुए कृषि संकाय के लिए शैक्षणिक भवन के साथ प्रयोगात्मक कार्य के लिए 15 एकड़ अतिरिक्त भूमि ली जाएगी।

महाविद्यालय में प्राचार्य का एक व प्रवक्ता के 120 पद सृजित हैं। इसके सापेक्ष 82 प्रवक्ता कार्यरत हैं। समूह ग में कुल 31 सृजित पद के सापेक्ष 13 कर्मचारी कार्यरत हैं। चतुर्थ श्रेणी के 58 सृजित पद के सापेक्ष 11 कर्मचारी कार्यरत हैं। कुल पदों के सापेक्ष एक महीने में एक करोड़ 45 लाख वेतन व भत्ते पर व्यय होता है। उन्होंने कहा कि सृजित सभी पदों को विश्वविद्यालय के सृजित पद मान लिया जाएगा। महाविद्यालय के उन पदों को समाप्त कर दिया जाएगा।

इतना ही नहीं वर्तमान में कार्यरत शिक्षकों-कर्मचारियों को प्रस्तावित विश्वविद्यालय में आने का विकल्प दिया जाएगा। दूसरी तरफ मुमुक्ष आश्रम ट्रस्ट, शाहजहांपुर के अंतर्गत चल रही शैक्षणिक इकाइयों को उच्चीकृत करते हुए स्वामी शुकदेवानंद विवि की स्थापना के लिए ट्रस्ट की सभी चल-अचल संपत्तियों को राज्य सरकार को नि:शुल्क दी जाएंगी। इसके लिए एमओयू किया जा चुका है। इन दोनों राज्य विवि संशोधन विधेयक को विधानमंडल में पारित कराया जाएगा।

सभी 75 जिलों में उप नियंत्रक नागरिक सुरक्षा के पदों पर होगी तैनाती

प्रदेश के सभी जिलों में नागरिक सुरक्षा के उपनियंत्रक के पदों पर विभागीय अधिकारियों की तैनाती हो सकेगी। अभी तक 26 जिलों में यह व्यवस्था लागू थी। पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमले की वारदात के बाद प्रदेश में भी नागरिक सुरक्षा संगठन को मजबूत करने के लिए कैबिनेट ने सोमवार को उप्र नागरिक सुरक्षा उप नियंत्रक सेवा (द्वितीय संशोधन) नियमावली 2025 को लागू करने की मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके तहत उप नियंत्रक के 60 पद सृजित किए जा सकेंगे। साथ ही नियमावली में संशोधन के बाद विभागीय कर्मियों की पदोन्नति की राह भी आसान हो जाएगी। बता दें कि नागरिक सुरक्षा संगठन के गठन के दौरान प्रदेश के 10 जिलों में जिलाधिकारियों को नियंत्रक और विभागीय अधिकारियों को उप नियंत्रक बनाने का प्रावधान किया गया था। बाद में इसमें 17 और जिले जोड़े गए थे।

3500 करोड़ से होगा स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार

प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने और आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए अनुपूरक बजट में 3,500 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इसमें मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना को 300 करोड़ तो एनआरएचएम को 2000 करोड़ रुपये दिए गए हैं।

प्रदेश सरकार की ओर से चिकित्सा के आधारभूत ढांचे को सुधारने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत मेडिकल कॉलेजों की व्यवस्थाएं बढ़ाई जा रही है। ग्रामीण इलाके के अस्पतालों को उच्चीकृत किया जा रहा है। अनुपूरक बजट में आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत सूचीबद्ध अस्पतालों के लंबित और भविष्य में प्राप्त होने वाले चिकित्सा दावों के भुगतान के लिए 300 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आवश्यकता को अनुपूरक बजट में शामिल किया गया है। इससे निजी व सरकारी दोनों प्रकार के सूचीबद्ध अस्पतालों को समय पर भुगतान सुनिश्चित होगा और मरीजों को बिना किसी बाधा के उपचार मिल सकेगा।

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत संचालित विभिन्न योजनाओं के बेहतर कार्यान्वयन के लिए 2,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त व्यवस्था की गई है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों व जिला अस्पतालों की सेवाओं को और सशक्त किया जाएगा। साथ ही मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, टीकाकरण, पोषण, संक्रामक रोग नियंत्रण और स्वास्थ्य कर्मियों की सुविधाओं को भी मजबूती मिलेगी। आयुष्मान भारत नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन मिशन के तहत सूचीबद्ध चिकित्सालयों के लंबित एवं प्राप्त होने वाले चिकित्सा दावों के भुगतान के लिए 1,200 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आवश्यकता को अनुपूरक बजट में शामिल किया गया है।

कैबिनेट ने भदोही में गंगा नदी पर माता सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी, धनतुलसी-डेंगुरपुर घाट पर पीपा पुल की जगह दीर्घ सेतु, पहुंच मार्ग एवं सुरक्षात्मक कार्य का निर्माण ईपीसी मोड पर कराए जाने के लिए व्यय वित्त समिति द्वारा धनराशि को मंजूरी प्रदान कर दी गई है। इस पर 320 करोड़ रुपये व्यय होंगे। यह एक उच्चस्तरीय सेतु होगा जो विधानसभा भदोही के आसपास की आबादी का सीधा संपर्क प्रयागराज शहर से कराएगा। भदोही के कालीन बुनकरों और ग्रामीणों को इसका लाभ मिलेगा। साथ ही मिर्जापुर होते हुए अन्य राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, बिहार की दूरी करीब 100 किमी कम हो जाएगी।

इसी तरह प्रयागराज में गंगा नदी पर सलोरी-हेतापट्टी-झूंसी मार्ग को जोड़ने के लिए फोर लेन पुल का निर्माण ईपीसी मोड पर 953 करोड़ रुपये की लागत से कराया जाएगा। इससे प्रयागराज शहर से यातायात भदोही, वाराणसी एवं बिहार जाना सुगम होगा। कुंभ मेला के समय आने वाले श्रद्धालुओं को गंगा, संगम स्नान हेतु सुगम मार्ग उपलब्ध होगा। साथ ही फूलपुर तहसील का सीधा संपर्क प्रयागराज मुख्यालय से हो जाएगा। इससे 2.50 लाख की आबादी लाभांवित होगी। इसके निर्माण से कुंभ मेला की भीड़ का शास्त्री सेतु पर यातायात भार कम हो जाएगा। बनारस और लखनऊ की ओर से आने वाले यात्री शहर में प्रवेश किए बिना बाहर-बाहर सीधे मेला क्षेत्र में प्रवेश कर सकेंगे।

सात जिलों को मिलाकर बनेगा विंध्य क्षेत्र

राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) की तर्ज पर सरकार ने काशी-विंध्य क्षेत्र (केवीआर) का गठन करने का फैसला किया है। इसमें वाराणसी और विंध्याचल मंडल के सात जिले वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, गाजीपुर, मिर्जापुर, भदोही और सोनभद्र शामिल होंगे। सभी संबधित जिलों को एक आर्थिक गतिविधियों के जोन के तौर पर विकसित किया जाएगा। केवीआर के गठन को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।

प्रस्ताव के मुताबिक केवीआर के गठन से पूर्वांचल के इन सात प्रमुख जिलों के विकास में तेजी आएगी। इसके गठन के बाद काशी-विंध्य क्षेत्र में आने वाले जिलतों में गुणवत्ता पूर्ण नागरिकों को सुविधाएं दी जाएंगी। इससे क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा और सुनियोजित विकास के साथ रोजगार का रास्ता खुलेगा। काशी-विंध्य क्षेत्र की मौजूदा आबादी दो करोड़ के आसपास बताई जा रही है।

इसके विकास से सरकार पर कोई भार नहीं आएगा। काशी विंध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण का दायरा 23815 वर्ग किलोमीटर होगा। वाराणसी का क्षेत्रफल 1535 वर्ग किलोमीटर है, जौनपुर 4038, चंदौली 2541, गाजीपुर 3377, मिर्जापुर 4521, भदोही 1015 और सोनभद्र 6788 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल है। इन सात जिलों में सर्वाधिक क्षेत्रफल सोनभद्र का है, जबकि सबसे कम चंदौली है। नीति आयोग ने काशी और विंध्य क्षेत्र के सतत विकास के लिए अपने सुझाव सरकार को दिए हैं।

सस्ते में सीधे खरीद सकेंगे विकास प्राधिकरणों की संपत्तियां

प्रदेश सरकार ने विकास प्राधिकरणों और आवास विकास परिषद की अनिस्तारित संपत्तियों के निस्तारण के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब ऐसी संपत्तियों को नीलामी के बजाय सीधे बेचा जाएगा और इन्हें खरीदने वालों को 25 प्रतिशत तक की छूट मिलेगी। इसके लिए आवास विभाग द्वारा तैयार आदर्श कास्टिंग गाइडलाइन (मूलभूत सिद्धांत)-2025 को सोमवार को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई।

नई गाइडलाइन के तहत प्रदेश भर में लगभग 2350 अनिस्तारित संपत्तियों की बिक्री की जाएगी। इसमें संपत्तियों की बढ़ी हुई कीमतों और ब्याज दरों पर भी भारी छूट का प्रावधान किया गया है, जिससे खरीदारों को संपत्तियां कम कीमत पर मिल सकेंगी। गाइडलाइन विकास प्राधिकरणों के साथ-साथ आवास विकास परिषद की संपत्तियों पर भी लागू होगी। इसके तहत अनिस्तारित संपत्तियों को अब सीधे खरीदा जा सकेगा। यदि किसी संपत्ति की मूल कीमत 100 रुपये थी और बिक्री न होने के कारण यह बढ़कर 150 रुपये हो गई है, तो बढ़ी हुई राशि (50 रुपये) पर 25 प्रतिशत तक की छूट दी जाएगी।

इसके अलावा भुगतान अवधि के आधार पर भी अतिरिक्त छूट दी जाएगी। 45 दिन में पूरा भुगतान करने पर 6%, 60 दिन में भुगतान करने पर 5% और 90 दिन में भुगतान करने पर 4% तक अतिरिक्त छूट मिलेगी। संपत्तियों के मूल्य निर्धारण में अब स्टेट बैंक के एमसीएलआर आधारित ऋण पर अधिकतम 1 प्रतिशत ब्याज ही जोड़ा जाएगा, जबकि पहले यह 12 से 18 प्रतिशत तक लिया जाता था। कार्नर प्लॉट, पार्क फेसिंग या 18 मीटर चौड़ी सड़क वाली संपत्ति पर अब किसी एक सुविधा के लिए अधिकतम 5 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा, जो पहले 10 प्रतिशत था। यदि तीनों सुविधाएं हों, तो कुल अतिरिक्त शुल्क 12 प्रतिशत होगा, जबकि पहले यह 15 प्रतिशत लिया जाता था।

नई गाइडलाइन में कमजोर वर्ग और छोटी श्रेणी की संपत्तियों पर लगने वाले ब्याज में भी दो प्रतिशत की छूट दी गई है। पहले इस श्रेणी में 10 प्रतिशत ब्याज लिया जाता था। सरकार का मानना है कि इस नई व्यवस्था से जहां विकास प्राधिकरणों और आवास विकास परिषद की अनिस्तारित संपत्तियों का निस्तारण आसान होगा, वहीं आम लोगों को सस्ती दरों पर आवास उपलब्ध कराने में भी मदद मिलेगी।

हाईकोर्ट के सेवानिवृत जजों का घरेलू सेवक व टेलीफोन भत्ता बढ़ा

कैबिनेट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जजों का घरेलू सेवक व टेलीफोन मद में भत्ता बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। पहले हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश को घरेलू नौकर के लिए 20 हजार रुपये और अन्य जजों के लिए 15 हजार रुपये प्रति माह दिए जाते थे, जो अब बढ़कर क्रमशः 50 हजार और 45 हजार रुपये प्रति माह कर दिया गया है। इसके अलावा चीफ जस्टिस समेत सभी जजों को 15 हजार रुपये प्रतिमाह टेलीफोन भत्ते के रूप में भी भरपाई होगी।

बच्चों को मिलेगा रेसिपी आधारित पोषाहार

आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को और अब रेसिपी आधारित पोषाहार दिया जाएगा। केंद्र सरकार की नई गाईडलाइन के मुताबिक खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत बच्चों को आयु के लिहाज से छह श्रेणी में पोषाहार उपलब्ध कराया जाएगा। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।

प्रस्ताव के मुताबिक उप्र राज्य ग्रामीण आजिविका मिशन द्वारा सचालित 204 उत्पादन ईकाईयों के माध्यम से पोषाहार तैयार कराया जाएगा। इसके बाद प्रदेश 43 जिलों में 288 बाल विकास परियोजना से संबंधित आंगनबाड़ी पर लाभार्थियों को पोषाहार उपलब्ध कराया जाएगा।

तीन शहरों में श्रमिक महिलाओं के लिए बनेंगे छात्रावास

प्रदेश सरकार लखनऊ, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर में श्रमिक महिलाओं के लिए 8 छात्रावास का निर्माण कराने जा रही है। इसके लिए संबधित तीनों शहर के विकास प्राधिकरण निशुल्क भूमि उपलब्ध कराएंगे। महिला विभाग के इससे संबंधित प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।

प्रस्ताव के मुताबिक सभी विकास प्राधिकरणों द्वारा महिला कल्याण विभाग को महिला छात्रावास बनाने के लिए एक रुपए प्रतिवर्ष की दर से लीज रेंट पर जमीन उपलब्ध कराएंगे। वहीं, गाजियाबाद के सूर्यनगर में बनने वाले छात्रावास के लिए एफएआर में छूट भी देने का फैसला किया गया है।

उत्तर प्रदेश मदरसा विधेयक, 2016 वापस लेगी सरकार

प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश (अध्यापकों एवं अन्य कर्मचारियों के वेतन भुगतान) विधेयक, 2016 को वापस लेने का फैसला किया है। यह अनुदानित मदरसों में माध्यमिक शिक्षा के समान वेतन वितरण प्रणाली लागू किए जाने के संबंध में था। इसमें भुगतान में अनियमितता पाए जाने पर पुलिस उपाधीक्षक के नीचे के अधिकारी से जांच न कराने का प्रावधान था।

इस विधेयक को तत्कालीन राज्यपाल ने केंद्र सरकार को भेज दिया गया था। इस पर केंद्र ने पूछा था कि सीआरपीसी के तहत किसी भी मुकदमे की जांच निरीक्षक स्तर का अधिकारी कर सकता था, फिर इस विधेयक में इसके अलग प्रावधान करने का क्या औचित्य है। केंद्र ने जिस बिंदु पर स्पष्टीकरण मांगा था, उसमें राज्य सरकार से उत्तर भी चला गया था। इसमें कहा गया था कि माध्यमिक शिक्षा अधिनियम में भी उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी से ही जांच कराने का प्रावधान है। अब केंद्र ने अंतिम रूप से यह पूछा था कि यदि अभी भी इस विधेयक का कोई औचित्य हो तो बताएं। राज्य सरकार ने इसे वापस लेने का फैसला किया।

गोरखपुर में वानिकी विवि को कैबिनेट की मंजूरी

कैबिनेट ने गोरखपुर में उत्तर प्रदेश वानिकी एवं औद्यानिकी विश्वविद्यालय के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना से जहां एक ओर वन एवं वन्यजीव की सुरक्षा, वनीकरण और औद्यानिकी को को बढ़ावा मिलेगा, वहीं विद्यार्थियों को वानिकी एवं औद्यानिकी के संबंध में ज्ञान और प्रशिक्षण मिलेगा। इसके लिए कैंपियरगंज रेंज, गोरखपुर में 50 हेक्टेयर भूमि मिल गई है। गोरखपुर के जिला प्रशासन ने वन भूमि के एवज में खजनी तहसील में उतनी ही भूमि वन विभाग को उपलब्ध करा दी है। क्षतिपूरक वनीकरण के लिए कैंपा निधि में 13.02 करोड़ रुपये जमा कराए जाएंगे। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि चयनित संस्था विश्वविद्यालय की डीपीआर तैयार कर रही है।

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