राष्ट्रीय डाक दिवस आज: पलक झपकते ही पूरी दुनिया में पहुंच रहे संदेश

मध्य प्रदेश: विश्व डाक दिवस के दूसरे दिन यानी 10 अक्तूबर को राष्ट्रीय डाक सेवा दिवस देश भर में मनाया जाता है। भारत की भौगोलिक स्थिति और दूर-दूरस्थ इलाकों में लोगों तक अपनी बात या संदेश पहुंचाने के प्राचीन तरीकों में दूत को भेजना या पक्षियों के माध्यम से संदेश भेजना शामिल थे। अब समय का बदलाव आया और अंग्रेजों द्वारा वर्ष 1766 में डाक विभाग की स्थापना की गई। इसका नाम कंपनी मेल था। लार्ड डलहौजी ने 1854 में देश में व्यवस्थित डाक सेवा की शुरुआत की थी। संचार क्रांति के पूर्व चिट्ठियां ही संदेश का मुख्य साधन हुआ करती थी। कई फिल्मों के गीत पत्रों और चिट्ठियों, संदेशों के थे, आज के वक्त में ये सब अप्रासंगिक हो गए हैं। अब मोबाइल व इंटरनेट के माध्यम से पलक झपकते ही संदेश पूरी दुनिया में पहुंच रहे हैं।

इसलिए मनाया जाता है डाक दिवस
अक्टूबर 1854 को अंग्रेज सरकार द्वारा डाक सेवा की स्थापना और डाक सेवा द्वारा देश के नागरिकों को आपस में जोड़ने का प्रयास किया था, वर्तमान में डाक विभाग वित्तीय सेवाओं के साथ बीमा जैसी सुविधाएं प्रदान कर रहा है। डाक विभाग की सेवाओं को याद करते हुए राष्ट्रीय डाक दिवस प्रतिवर्ष 10 अक्टूबर को मनाया जाता है।

होलकर राज में घुड़सवार व बैलगाड़ी से भेजते संदेशवाहक
होलकर रियासत के दिनों में सूचनाओं का आदान प्रदान संदेश वाहकों द्वारा प्रत्यक्ष जाकर किया जाता था। संदेश के महत्व के अनुसार घोड़े, बैलगाड़ी आदि से संदेशवाहकों को भिजवाया जाता था। 1873 में होलकर राज्य में डाक व्यवस्था ठेके पर दे दी गई। ठेकदार को इस एवज में 3600 रुपये प्रतिवर्ष राशि प्रदान की जाती थी। डाक नियत समय पर भिजवाने का नियम था। विलंब होने पर पांच रुपये प्रतिदिन का जुर्माना का प्रावधान था।

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