नेपाल की हिंसा के बाद बंगाल और केंद्र सरकार सतर्क

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार लगातार आमने-सामने हैं। 2026 के विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही यह प्रतिद्वंद्विता और भी बढ़ गई है। इस बीच पड़ोसी देश नेपाल की घटनाओं ने इस चिर-परिचित समीकरण को बिगाड़ दिया है। ऐसे में अगर हालिया सियासी घटनाक्रमों को देखें तो लगता है कि सीमावर्ती जिलों में सुरक्षा के मद्देनजर दोनों पक्षों को अब एक समझौते पर पहुंचने के लिए मजबूर होना पड़ा है। दरअसल, नेपाल के साथ बंगाल लगभग 100 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, जिसमें सिलीगुड़ी का संवेदनशील चिकन नेक क्षेत्र भी शामिल है।

जनरेशन जेड (Gen Z) के विरोध प्रदर्शनों के साथ यह हिमालयी राष्ट्र राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है। हालांकि, अब जब सुशीला कार्की के नेतृत्व वाली एक अंतरिम सरकार सत्ता में है, तब भी भारत ने सीमा पर सतर्कता में कोई ढील नहीं दी है, जो पिछले हफ्ते शुरू हुए उपद्रव के समय बढ़ा दी गई थी।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘ये राष्ट्रीय हित के मुद्दे हैं और इन मुद्दों पर तृणमूल-भाजपा के बीच कोई मतभेद नहीं है। हमें राष्ट्रीय हित के प्रति सावधान रहना चाहिए। सुरक्षा के मुद्दे पर हम एकजुट हैं।’ राज्य के अपने हालिया दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का कोई जिक्र नहीं किया। पहली बार पूर्वी कमान के मुख्यालय फोर्ट विलियम में कोर कमांडरों की एक संयुक्त बैठक हुई, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भाग लिया।

सीमा पर अतिरिक्त सुरक्षा में सीमा सुरक्षा बल की तैनाती में वृद्धि शामिल है। सेना की तैनाती और निगरानी बढ़ा दी गई है और एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) राज्य पुलिस के साथ मिलकर पानीटंकी में नेपाल और भारत को जोड़ने वाले पुल की निगरानी कर रहा है। केंद्र और राज्य के बीच भी व्यापक खुफिया जानकारी साझा की जा रही है। राज्य सरकार की अपनी खुफिया शाखा है और उसकी रिपोर्ट नियमित रूप से प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के कार्यालयों को भेजी जाती है। राज्य पुलिस प्रमुख राजीव कुमार खुफिया शाखा की रिपोर्ट के आधार पर रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहे हैं। राज्य के मुख्य सचिव प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय गृह सचिव के साथ संपर्क में हैं।

खुफिया सूत्रों ने बताया कि उन्हें काठमांडू के बाजार में चीनी मुद्रा उपलब्ध और उपयोग योग्य मिली है। इससे पड़ोसी देश में चीनी प्रभाव की मौजूदगी को लेकर खतरे की आशंका पैदा हो गई है। सूत्रों ने बताया कि इस महीने की शुरुआत में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के बाद भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों में सुधार हुआ है, लेकिन खुफिया एजेंसियों ने भी अपनी सतर्कता बढ़ा दी है।

इससे पहले हाल ही में राज्यपाल सीवी आनंद बोस नेपाल सीमा का दौरा करने गए थे। मुख्यमंत्री ने सुरक्षा जोखिम को देखते हुए राज्यपाल से यह विचार त्यागने का अनुरोध किया था, लेकिन राज्यपाल के दृढ़ निश्चय के साथ ममता बनर्जी ने राज्य पुलिस की मदद से सभी व्यवस्थाएं कर ली थीं। बोस फासीदेवा क्षेत्र गए, जहां उन्होंने बाड़ का निरीक्षण किया और उसकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षा बलों से बातचीत की।

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