लंबी दूरी की मिसाइलों की तैनाती में तेजी लाएगी जापान

जापान अब अपनी 1,000 किमी मारक क्षमता वाली टाइप-12 मिसाइलों की तैनाती तय समय से एक साल पहले यानी मार्च 2026 तक करेगा। यह कदम चीन, उत्तर कोरिया और रूस से बढ़ते खतरे के बीच उठाया गया है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, ये मिसाइलें कुमामोटो के कैंप केंगुन में लगाई जाएंगी। चीन के जहाजों की गतिविधियों के बाद जापान ने यह निर्णय लिया है।
जापान ने शुक्रवार को एक अहम घोषणा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि वह अब अपनी घरेलू रूप से विकसित लंबी दूरी की मिसाइलों की तैनाती तय समय से एक साल पहले करेगा। इस बात की जानकारी जापान के रक्षा मंत्रालय ने दी। मंत्रालय के अनुसार अब ये मिसाइलें मार्च 2026 तक दक्षिण-पश्चिमी जापान के कुमामोटो स्थित सेना के कैंप केंगुन में तैनात कर दी जाएंगी। बता दें कि यह टाइप-12 एंटी-शिप मिसाइल एक विशेष प्रकार की मिसाइल है जो कि लगभग 1,000 किलोमीटर तक मार कर सकती है।
जापान की सरकार की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार ये कदम चीन, उत्तर कोरिया और रूस से बढ़ते सुरक्षा खतरों को देखते हुए उठाया गया है। खासतौर पर चीन की आक्रामक नौसैनिक गतिविधियों को लेकर जापान सतर्क है। जापान ने दावा किया कि जून में पहली बार दो चीनी एयरक्राफ्ट कैरियर को अपने दक्षिणी द्वीपों के पास देखा, जिसके बाद सुरक्षा संकट को लेकर अहम कदम उठाने की आवश्यकता है।
टॉमहॉक मिसाइलों को भी तैनात करने की योजना
इसके साथ ही, जापान इस साल अमेरिका से खरीदी गई टॉमहॉक मिसाइलों को भी तैनात करने की योजना बना रहा है। जनशक्ति की कमी को देखते हुए जापान निगरानी के लिए मानव रहित हवाई, जल और पनडुब्बी ड्रोन तैनात करने की योजना पर भी काम कर रहा है।
जापान का ये कदम नीति बदलाव की ओर इशारा
वहीं दूसरी ओर, जापान का यह कदम उसके द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बनाए गए शांति संविधान से बड़ी नीति बदलाव की ओर इशारा करता है। 2022 में जापान ने नई सुरक्षा रणनीति अपनाई थी, जिसमें चीन को सबसे बड़ा रणनीतिक खतरा बताया गया था और अमेरिका के साथ रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने की बात कही गई थी।
रक्षा बजट को भी बढ़ाने पर जोर
इसके साथ ही जापान अब अपने रक्षा बजट को 2027 तक जीडीपी के 2% तक बढ़ा रहा है (पहले यह लगभग 1% था)। इसी क्रम में 2026 के बजट के लिए रिकॉर्ड 8.8 ट्रिलियन येन (लगभग 60 अरब डॉलर) की मांग की गई है, जिसमें लंबी दूरी की मिसाइलों और ड्रोन तकनीक पर जोर दिया गया है।