सीएम योगी ने कहा- भतीजा चच्चू को कुंभ भी नहीं ले गया,शायरी से अखिलेश पर निशाना…

लखनऊ, सीएम योगी ने बुधवार को विधानसभा में विपक्ष के सवालों का करारा जवाब दिया। शायरी के अंदाज में अखिलेश यादव पर निशाना साधा। कहा बड़ा हसीन है इनकी जुबान का जादू, लगाकर के आग बहारों की बात करते हैं, जिन्होंने रात में चुन-चुन के बस्तियों को लूटा, वही नसीबों के मारों की बात करते हैं। सीएम योगी ने कहा सपा के बारे में कहा जाता है। जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं। सपा अध्यक्ष शुरू से महाकुंभ का विरोध कर रहे थे, लेकिन आखिरी में चुपचाप जाकर डुबकी लगा आएं। ये बड़ी विडंबना है। सीएम ने चुटकी लेते हुए कहा पूरे परिवार को लेकर गए थे, आगे-पीछे चच्चू (शिवपाल) को भी साथ ले जाते।
2013 में उनकी मजबूरी समझ सकता हूं, लेकिन 2025 में कम से कम पुण्य के भागीदार बना देते। भतीजा चला गया और चच्चू फिर ठगा का ठगा रह गया। पांडेय जी (माता प्रसाद पांडेय), चच्चू को लेकर जाइए। आप जाएंगे तो बहुत सारी अच्छी चीजें देखकर आएंगे। महाकुंभ को लेकर तमाम दुष्प्रचार किए गए, लेकिन सनातनी आए हैं। 56 करोड़ लोग अब तक आ चुके हैं। जब सनातन धर्म, मां गंगा, भारत की आस्था, महाकुंभ के खिलाफ अनर्गल प्रलाप और झूठा वीडियो दिखाते हैं, तो यह 56 करोड़ लोगों के साथ ही भारत की सनातन आस्था के साथ खिलवाड़ है। भगदड़ में जिनकी जान गई, उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। जो लोग हादसे का शिकार हुए, उनके प्रति भी संवेदना व्यक्त करते हैं। सरकार उनके साथ खड़ी है, लेकिन इसमें राजनीति करना ठीक नहीं है। यह किसी पार्टी विशेष और सरकार का नहीं, बल्कि समाज का आयोजन है।
सरकार पीछे है। सरकार सहयोग और उत्तरदायित्वों का निर्वहन करने के लिए सेवक के रूप में है। काहिरा, नेपाल, झारखंड और देश की अन्य दुर्घटनाओं को महाकुंभ और झूंसी के साथ जोड़कर दुष्प्रचार करके अफवाह फैलाने का काम हो रहा है, ऐसा करने वाले आखिर कौन लोग थे। इसलिए मैं कहना चाहता हूं- बड़ा हसीन है इनकी जुबान का जादू, लगाकर के आग बहारों की बात करते हैं, जिन्होंने रात में चुन-चुन के बस्तियों को लूटा, वही नसीबों के मारों की बात करते हैं। यह उर्दू नहीं, हिंदी है। जब प्रदेश की स्थानीय बोलियों को सदन में महत्व मिला तो उन्होंने विरोध किया। हर अच्छे कार्य का विरोध करना समाजवादी संस्कार है। हिंदी इस सदन की भाषा है। हिंदी को तो हटाया नहीं, बल्कि सदस्यों को छूट दी गई है कि वे इन बोलियों में बोल सकते हैं। यह थोपा नहीं गया, बल्कि सुविधा है। भोजपुरी, ब्रज, अवधी और बुंदेलखंडी की लिपि भी देवनागरी है। उसी दायरे में सारे काम हुए। आप जैसे उम्रदराज व्यक्ति को इसका स्वागत करना चाहिए।
इस कार्य के साथ सकारात्मक भाव से जुड़ना चाहिए। आप लोगों के बारे में एक मान्यता यह भी है कि समाजवादी जिस थाली में खाते हैं, उसी थाली में छेद करते हैं। इसलिए मैं आपके विरोध का न उपहास उड़ाता हूं, न ही कुछ कहता हूं। जब विधानसभा में महाकुंभ पर चर्चा होनी थी, उस वक्त आपने चर्चा होने नहीं दी थी। ये महाकुंभ का विरोध पहले दिन से कर रहे थे। आपके एक सहयोगी कहते हैं- फालतू का कुंभ है। खड़गे कहते हैं- कुंभ भगदड़ में हजारों लोग मारे गए। इनकी एक और सहयोगी कहती हैं- महाकुंभ मृत्युकंभ में बदल गया? ये क्या है? जया बच्चन, जो सपा की नेत्री हैं, कहती हैं- मृतकों की संख्या सही बताई जानी चाहिए। गंगा में शव बहा दिए गए। इस प्रकार के गैर-जिम्मेदाराना बयान दिए जाते हैं। क्या सनातन धर्म का अनुयायी बनना, सनातन के किसी कार्यक्रम को भव्यता के साथ करना? क्या कोई अपराध है। अगर यह अपराध है तो हमारी सरकार इस अपराध को कर रही है। आगे भी करेगी। क्योंकि हम लोग मानते हैं कि सनातन धर्म इस देश का राष्ट्रीय धर्म है। सनातन धर्म की सुरक्षा में ही भारत में पल रहे हर मत-मजहब की सुरक्षा है। सनातन धर्म की सुरक्षा विश्व मानवता की सुरक्षा की गारंटी है। महाकुंभ में भेदभाव तो किसी के साथ नहीं हुआ।
प्रयागराज महाकुंभ में क्रिकेटर शमी ने भी स्नान किया। हर जाति-महजब के लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई है। हां, अगर कोई चिढ़ाने के लिए आया है, तो उसे उसी प्रकार दुत्कार कर भगा दिया गया। यह होना भी चाहिए था। आप लोगों ने जो बात कही, हमें बुरा नहीं लगा। क्योंकि आप लोगों की यह प्रवृत्ति है। क्योंकि हम मानते हैं कि संक्रमित व्यक्ति का इलाज हो सकता है, लेकिन जिसके अंदर संक्रमण भरा हो उसका इलाज नहीं हो सकता। वो अपने आप ही कुढ़ता रहता है। महान कार्य को तीन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है। उपहास, विरोध और स्वीकृति से। स्वीकृति का इससे बड़ा परिणाम क्या हो सकता है कि जो सपा अध्यक्ष शुरू से महाकुंभ का विरोध कर रहे थे। आखिरी में चुपचाप जाकर डुबकी लगाकर आएं।नेता प्रतिपक्ष से योगी ने कहा कि आप 2013 में नहीं जा पाए थे, जब आप जा रहे थे, तभी आपको फोन आ गया। इसके बाद आप वापस आ गए। लेकिन इस बार आप गए। मुझे अच्छा लगा। आपने यूपी सरकार की व्यवस्था की सराहना की। आपने मुझे प्रत्यक्ष नहीं, बल्कि स्पीकर साहब को धन्यवाद दिया कि महाकुंभ में अच्छी व्यवस्था है। महाकुंभ के बारे में अनेक दुष्प्रचार किए गए। महाकुंभ का जिक्र ऋग्वेद और भागवत गीता में भी है।