ईरान की आधी से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा के नीचे, मुद्रा रियाल तेजी से आई गिरावट, जानिए कारण…

शिया मुस्लिम बहुल ईरान अंतराराष्ट्रीय संबंधों और आर्थिक पैमाने पर संकटपूर्ण दौर से गुजर रहा है। इजरायल और अमेरिका से तनातनी के बीच उसकी अर्थव्यवस्था लगातार गोते मार रही है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि मुद्रास्फिति 45 फीसदी के आंकड़े को पार कर गई है और देश की आधी से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा के नीचे चली गई है। ईरानी मुद्रा रियाल तेजी से गिरती जा रही है। इसकी वजह से लाखों ईरानी संकट में पहुंच चुके हैं। ये सब ऐसे वक्त में हो रहा है, जब ईरान पहले से ही इजारयल और अमेरिका से उलझा हुआ है और अब नए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपना अधिकतम दबाव ईरान पर बढ़ा दिया है।

ट्रंप ने कड़े प्रतिबंधों के जरिए ईरानी अर्थव्यवस्था को पंगु बनाने की कसम खाई है। इससे ईरानी अर्थव्यवस्था तेजी से गिर रही है। ईरान में अब खाने-पीने और रहने के लिए मकान किराए की कीमतें आसमान छूने लगी हैं, जिसे आम आदमी सहन नहीं कर पा रहा है। इसके परिणामस्वरूप आधी से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा के नीचे चली गई है। ईरान के सांख्यिकी केंद्र के मुताबिक, मुद्रास्फिति 45 फीसदी से ज्यादा हो गई है।

औसत वेतन से मकान किराया चुकाना मुश्किल

ईरान के केंद्रीय बैंक के मुताबिक, पिछले 12 सालों में तेहरान में मकान किराए में 24 गुना इजाफा हुआ है, जबकि रियल एस्टेट की कीमतों में 37 गुना का इजाफा हुआ है। हालांकि, इस दौरान मजदूरी और वेतन में सिर्फ 20 गुना की ही बढ़ोत्तरी हो सकी है। वहां अब जन सामान्य के लिए घर खरीदना मुश्किल हो गया है। केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के मुताबिक कई इलाकों में औसतन मासिक वेतन में किराए पर घर मिलना भी मुश्किल हो चुका है।

तेल-गैस के अकूत भंडार, फिर भी खस्ताहाल ईरान

बता दें कि ईरान की ये हालत तब है, जब वहां कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस के अकूत भंडार हैं। ईरान में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गैस भंडार है। पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) में ईरान तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है और यह दुनिया के तेल उत्पादन में सातवें नंबर है। यह अपने तेल उत्पादन का करीब आधा हिस्सा दूसरे देशों को निर्यात करता है। ईरान के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार भी है लेकिन अमेरिका के कड़े प्रतिबंधों की वजह से ईरान की अर्थव्यवस्था को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

आगामी दिनों में ट्रंप प्रशासन की ओर से और अधिक कड़े प्रतिबंध लगाए जाने की आशंका है। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति यह भी संकेत दे रहे हैं कि वह तेहरान के तेजी से बढ़ते परमाणु कार्यक्रम को लेकर उसके साथ समझौता करना चाहते हैं। इस बीच, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने अमेरिका के साथ प्रस्तावित वार्ता की आलोचना करते हुए कहा कि यह कोई समझदारी वाला कदम नहीं है। खामेनेई ने यह भी कहा कि ‘‘ऐसी सरकार के साथ कोई बातचीत नहीं होनी चाहिए।’’ हालांकि, उन्होंने अमेरिका के साथ बातचीत न करने का आदेश जारी करने से परहेज किया।

ईरान में एक डॉलर की कीमत कितने रियाल

अमेरिकी प्रतिबंधों और दबाव का आलम यह है कि ईरानी मुद्रा शुक्रवार को 6 फीसदी गिरकर प्रति डॉलर 9,28,000 रियाल पर पहुंच गई है। रियाल में हो रही तेज गिरावट ने वहां महंगाई और मुद्रास्फिति को और बढ़ावा दिया है। ईरान का विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो चुका है, इसलिए सामानों का आयात करना मुश्किल हो रहा है। डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर दबाव बढ़ाते हुए अपने पिछले कार्यकाल की तरह उसके तेल निर्यात को शून्य पर लाने की कसमें खाई हैं। अगर ऐसा होता है तो ईरान में हालात और बद से बदतर हो सकते हैं क्योंकि तेल से होने वाली आय ही ईरानी सरकार का सबसे बड़ा राजस्व स्रोत है। तेल से ईरान को 50 फीसदी आय होती है।

क्या कह रही ईरानी सरकार

इस बीच, ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने कहा,”मौजूदा आर्थिक चुनौतियां सरकार के तत्काल नियंत्रण से बाहर हैं और हम अपने नागरिकों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए सभी संभावित रास्ते तलाश रहे हैं।” उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चेतावनी दे ते हुए कहा, “ईरान बहुत घबराया हुआ है। मुझे लगता है कि वे डरे हुए हैं। मुझे लगता है कि ईरान एक सौदा करना पसंद करेगा और मैं उन पर बमबारी किए बिना उनके साथ एक सौदा करना पसंद करूंगा।”

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