डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा पट्टी के बारे में कई विवादास्पद टिप्पणियां, पढ़ें पूरी खबर…

अपने शपथ ग्रहण के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा पट्टी के बारे में कई विवादास्पद टिप्पणियां की हैं। उन्होंने फिलिस्तीनियों के लिए गाजा से पलायन कराने की बात भी कही है। उन्होंने गाजा को एक बेहद शानदार स्थान बताते हुए कहा था कि यहां कई सुंदर चीजें की जा सकती हैं। उन्होंने 26 जनवरी को एयरफोर्स वन पर रिपोर्टरों से बात करते हुए कहा कि फिलिस्तीनियों को मिस्र और जॉर्डन में भेज देना चाहिए। उनके इस बयान के बाद 20 लाख लोगों को निकालने और गाजा को पूरी तरह से अमेरिकी नियंत्रण में लाने का सुझाव आया।

ट्रंप ने क्यों दिया गाजा पर अपना प्रस्ताव?

डोनाल्ड ट्रंप के इरादों को समझना अक्सर कठिन होता है। अपने अप्रत्याशित दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध ट्रंप का मानना है कि वे किसी भी प्रकार की बातचीत में मोल-भाव के मास्टर हैं। यह भेद करना मुश्किल हो जाता है कि उनका प्रारंभिक बिंदु क्या है और अंत में उनकी क्या योजना हो सकती है। कुछ विश्लेषक मानते हैं कि यह प्रस्ताव इजरायल के कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए था, जिनका यह लंबे समय से मानना रहा है कि गाजा में अवैध बस्तियां बसाई जाएं। वहीं, कुछ इसे अरब देशों को गाजा के पुनर्निर्माण के लिए धन जुटाने के लिए एक रणनीतिक कदम मानते हैं। वहीं, ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज ने इसे एक बड़े क्षेत्रीय समाधान का हिस्सा बताया है।

गाजा पर अमेरिकी नियंत्रण का विचार कितना व्यवहारिक?

ट्रंप का यह विचार है कि अमेरिका गाजा पर नियंत्रण स्थापित करेगा और वहां के 20 लाख लोगों को निकालकर अन्य देशों में भेज देगा। इसमें कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। यह विचार न केवल व्यावहारिक रूप से असंभव है, बल्कि यह फिलिस्तीनियों के लिए गहरी चोट पहुंचाने वाला भी है।

गाजा में रहने वाले लोग किसी भी प्रकार के विस्थापन के खिलाफ विद्रोह करेंगे। यह न केवल फिलिस्तीनियों की अस्मिता और उनके अधिकारों के खिलाफ है, बल्कि यह क्षेत्रीय संघर्ष को और बढ़ा सकता है। इसके अलावा रिपब्लिकन पार्टी के कई सदस्य ने भी गाजा में अमेरिकी सैनिकों को तैनात करने के विचार पर शंका व्यक्त की है। उन्होंने इस कदम को लेकर विरोध किया है।

अमेरिका के सहयोगियों का क्या है स्टैंड?

ट्रंप के गाजा प्रस्ताव को तुरंत ही कई प्रमुख अरब देशों ने नकार दिया। सऊदी अरब, जॉर्डन और मिस्र ने इस विचार का विरोध करते हुए साफ कहा कि यह उनके समर्थन के बिना नहीं हो सकता है। सऊदी अरब ने तो आधी रात को यह बयान जारी किया। उसने यह दिखाने की कोशिश की है कि वे ट्रंप के प्रस्ताव के खिलाफ पूरी तरह से खड़े हैं।

हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि अरब देश अंततः ट्रंप के दबाव में आ सकते हैं। इसके बावजूद इस प्रस्ताव को लेकर उनका भारी विरोध इसे पूरी तरह से असंभव बना देता है। अगर अमेरिका एकतरफा कदम उठाता है तो यह उसकी क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक स्थिति को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।

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