देहरादून में IAS सव‍िन बंसल की बड़ी कार्रवाई, 13 करोड़ के बकाएदार की नीलाम कर दी 16 करोड़ की प्रॉपर्टी

 बकाएदारों पर जिलाधिकारी (डीएम) सविन बंसल का डंडा निरंतर चल रहा है। राजस्व बकाए को चुकता करने की जगह ऊंची पहुंच का फायदा उठाने का जुगाड़ भी अब काम नहीं आ रहा है। डीएम सव‍िन बंसल ने ऐसे ही एक बड़े मामले में कार्रवाई करते हुए बकाएदार की 16.21 करोड़ रुपए की संपत्ति नीलाम कर दी।

तहसील सदर के अंतर्गत शिवम माइंस के प्रदीप अग्रवाल पर 12.93 करोड़ रुपए का बकाया चल रहा था। उनकी आरसी (रिकवरी सर्टिफिकेट) जारी करते हुए जिला प्रशासन से वसूली का आग्रह किया गया था। इसके बाद भी तीन साल से वसूली अधर में लटकी थी।

ऊंची पहुंच राह में बाधा बन जाती

वसूली की जब भी नौबत आती तो प्रदीप अग्रवाल की ऊंची पहुंच राह में बाधा बन जाती। लेकिन, जिलाधिकारी सविन बंसल ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाया। जिसके क्रम में प्रदीप अग्रवाल की 16.21 करोड़ रुपए की संपत्ति को पहले अटैच किया गया और अब उसकी नीलामी करा दी गई है।

30 प्रतिशत पर सिमटा था वसूली का आंकड़ा

इस कार्य में उपजिलाधिकारी कुमकुम जोशी ने भी अथक प्रयास किए। क्योंकि, इससे पूर्व नीलामी के प्रकरण को एक बार विफल करा दिया गया था। जिलाधिकारी ने कहा कि सितंबर माह तक वसूली का आंकड़ा 30 प्रतिशत पर सिमटा था।

राजस्व वसूली के निर्देश

यह अब बढ़कर 95 प्रतिशत को पार कर गया है। अधिकारियों को शत प्रतिशत राजस्व वसूली के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि वसूली की निगरानी वह स्वयं तहसीलवार कर रहे हैं।

78 लाख के बकाएदार का फ्लैट सील

जिलाधिकारी के मुताबिक, गोल्डन एरा इंफोटेक प्राइवेट लिम‍िटेड पर रेरा (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी) का 78 लाख रुपए का बकाया चल रहा था। आरसी जारी किए जाने के बाद भी राजस्व अदायगी न किए जाने की दशा में कंपनी के फ्लैट को सील किया गया है। जिसकी शीघ्र नीलामी की जाएगी।

नीलामी विफल होने पर दर्ज किया जा चुका है मुकदमा

प्रदीप अग्रवाल की संपत्ति को नीलाम करने के लिए इससे पहले 20 दिसंबर को प्रयास किए गए थे। जिला प्रशासन के मुताबिक, नीलामी को विफल कराने के लिए प्रदीप अग्रवाल ने अपने ही व्यक्तियों को इसमें शामिल करवाया। उस दौरान संपत्ति की 10 करोड़ रुपए की अधिकतम बोली डिफेंस कॉलोनी निवासी संजीव थपलियाल ने लगाई थी।

उन्होंने भुगतान की पहली किश्त के रूप में 2.5 करोड़ रुपए का चेक दिया और फिर उस पर बैंक से स्टाप पेमेंट लगा दी गई। जिसके बाद चेक बाउंस हो गया था। जिलाधिकारी ने इस मामले को गंभीरता से लिया और संजीव थपलियाल के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करा दिया गया। यह बाद अभी गतिमान है।

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