एकनाथ शिंदे के घर प्रदर्शन, फडणवीस सरकार के फैसले पर भड़के शिवसैनिक
महाराष्ट्र में नासिक और रायगड़ के प्रभारी मंत्रियों को लेकर छिड़ा विवाद बढ़ता ही जा रहा है। शिवसेना के विरोध के बाद देवेंद्र फडणवीस सरकार ने नासिक में गिरीश महाजन और रायगड़ में एनसीपी की अदिति तटकरे को प्रभारी मंत्री बनाए जाने के आदेश पर रोक लगा दी गई है। इसके बाद अब शिवसैनिक दबाव बनाने में जुटे हैं कि किसी भी तरह से उनके ही नेताओं को मौका दिया जाए। यही नहीं सरकार से नाराज बताए जा रहे एकनाथ शिंदे के घर पर भी प्रदर्शन होने लगे हैं। शिवसेना नेता और रोजगार गारंटी मिनिस्टर भारत गोगावाले के समर्थकों ने एकनाथ शिंदे के घर का घेराव किया। मंगलवार की शाम को साउथ मुंबई में स्थित एकनाथ शिंदे के बंगले मुक्तागिरी पहुंचे गोगावाले समर्थकों ने नारेबाजी भी की।
इन लोगों की मांग है कि रायगड़ जिले का प्रभारी मंत्री गोगावाले को ही बनाया जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि वे वहां जनाधार रखते हैं। इस मामले में गोगावाले के समर्थक दो विधायक महेंद्र थोर्वे और महेंद्र डलवी सीएम देवेंद्र फडणवीस से भी मिलने वाले हैं। बीते सप्ताह गार्जियन मिनिस्टर की लिस्ट जारी होने के बाद से ही शिवसैनिकों में गुस्सा है। नासिक में भाजपा नेता गिरीश महाजन को प्रभारी बनाए जाने से भी असहमति है, लेकिन उतना गुस्सा नहीं है। लेकिन एनसीपी की नेता अदिति तटकरे को रायगड़ का प्रभारी मंत्री बनाए जाने से ज्यादा गुस्सा है। इसके अलावा दादा भुसे और उनके समर्थक नासिक का प्रभारी मंत्री बनाए जाने की इच्छा रखते हैं। वह पहले भी इस जिले की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
इससे पहले शनिवार को तो गोगावाले समर्थकों ने मुंबई और गोवा हाईवे को भी जाम कर दिया था। एकनाथ शिंदे गुट के दबाव के बाद प्रभारी मंत्रियों की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई है, लेकिन इसके बाद भी 26 जनवरी को होने वाले आयोजन में जिलों में महाजन और तटकरे ही झंडा फहराएंगे। इसी को लेकर चिंता बढ़ गई है। उन्हें लगता है कि ऐसा न हो जाए कि बाद में फिर से वही फैसला रिपीट हो जाए। दरअसल रायगड़ में लंबे समय से गोगावाले और तटकरे के बीच मतभेद रहे हैं। दोनों एक-दूसरे के खिलाफ ही सियासी जमीन तैयार करते रहे हैं। ऐसे में अब एक ही सरकार का हिस्सा होने के बाद भी खाई खत्म नहीं हो पाई है।
यहां तक कि जब एकनाथ शिंदे खुद सीएम थे और अदिति तटकरे को मंत्री पद दिया गया, तब भी प्रदर्शन हुए थे। हालात यह हो गए थे कि एकनाथ शिंदे को अपना दौरा बीच में ही छोड़कर लौटना पड़ा था। तब गोगावाले मंत्री नहीं थे और उन्हें महाराष्ट्र सड़क परिवहन विभाग का मंत्री बनाया गया था। इस सरकार में वह मंत्री हैं, लेकिन अब उनसे जिले का प्रभार ही लेने की तैयारी है। इसी को लेकर गोगावाले चिंतित हैं और समर्थकों के जरिए दबाव बनाने की कोशिश है। यही नहीं इन दो जिलों को लेकर शिवसेना और भाजपा के बीच भी तनाव की स्थिति बनी हुई है।