ठंड से तड़पकर मर गई गाय,लोग कॉल करते रहे, लेकिन नहीं आई नगर निगम की टीम

लखनऊ, राजधानी लखनऊ के पॉलीटेक्निक चौराहे पर ठंड से तड़पकर गाय की मौत हो गई। गाय को बचाने के लिए राहगीरों ने पानी पिलाया। आग जलाकर सेंकाई की। कंबल और चादर ओढ़ाया। शरीर को रगड़कर गर्माहट दी। इस सब के बाद भी गाय की जान नहीं बची। आधी रात गाय को सड़क पर तड़पता देखकर जो भी उधर से गुजरा वो रुक गया, लेकिन मदद के लिए कोई प्रशासनिक अमला नहीं पहुंचा। घंटों लोग नगर निगम कंट्रोल रूम और पशु हेल्पलाइन पर कॉल करते रहे, लेकिन फोन तक नहीं उठा। मौके पर मौजूद दिवाकर पांडे ने बताया कि मैंने आपातकालीन पशु सहायता नंबर 1962 पर कॉल किया था। 32 मिनट तक कॉल वेटिंग में रही। इसके बाद जवाब आया कि सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक ही कॉल करें।

जिला प्रशासन की हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया लेकिन रिसीव नहीं हुई। हालांकि लोगों की सूचना पर पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। पुलिस वालों ने भी कंट्रोल रूम में कॉल किया, लेकिन फोन नहीं उठा। इसके बाद कुछ पुलिसकर्मी नगर निगम ऑफिस पहुंचे। यहां गेट बंद था। दरवाजा खटखटाया तो अंदर मौजूद महिला कर्मचारी नाराज हो गई। इस सबके बीच रात साढे 12 बजे गाय की मौत हो गई। इसके करीब एक घंटे बाद नगर निगम की गाड़ी पॉलिटेक्निक चौराहे पर पहुंची और शव को लेकर चली गई। गाय को तड़पता देखकर उसे सबसे पहले बचाने की पहल राहगीर दिवाकर पांडे ने की। दिवाकर बताते हैं कि मैं रात में घर जा रहा था।

अचानक मेरी नजर गाय पर पड़ी। मैंने रुककर नगर निगम के कंट्रोल नंबर पर फोन किया। वहां पर फोन नहीं उठा। पुलिस सहायता नंबर 112 पर कॉल किया तो पीआरवी की गाड़ी आई। लेकिन नगर निगम और पशु हेल्पलाइन की टीम नहीं आई। अगर समय पर ये लोग आ जाते तो गाय की जान बचाई जा सकती थी। वहीं मौके पर मौजूद शुभम शुक्ला कहते हैं कि पुलिस भले पहुंची, लेकिन वह मेडिकल हेल्प नहीं कर सकती थी। गाय को बचाने के लिए देर रात आसपास के आम लोग तो आ गए। लेकिन जिन्हें आना चाहिए वो नहीं आए। लखनऊ प्रदेश की राजधानी है। यहां से सरकार चलती है। यहीं पर पूरा सिस्टम है लेकिन एक पशु को जब मदद नहीं मिल सकती तो बाकी जिलों का हाल क्या होगा।

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