बांग्लादेश में फिर भड़की हिंसा, इस्लामी चरमपंथियों के विरोध में उग्र हुआ छात्रों का प्रदर्शन

बांग्लादेश की राजधानी में एक बार फिर छात्रों का प्रदर्शन उग्र हो गया है। डॉक्टरों की कथित लापरवाही के कारण एक छात्र की मौत के बाद छात्रों के प्रदर्शन ने ढाका को हिलाकर रख दिया है। प्रदर्शन से निपटने के लिए एक बार फिर सेना की मदद लेनी पड़ रही है। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के लिए राजधानी कानून-व्यवस्था को बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती एक बन गई है।

ढाका में प्रदर्शनकारी छात्रों पर कॉलेजों को निशाना बनाने का आरोप है जिसके जवाब में सेना को तैनात किया गया है। अगस्त में अंतरिम सरकार के कार्यभार संभालने के बाद से बांग्लादेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति तेजी से बिगड़ी है। देश में इस्लामी चरमपंथियों ने खुलेआम गुंडागर्दी शुरू कर दी है और आम लोगों के बीच डर का माहौल पैदा कर रहे हैं।

इससे पहले बांग्लादेश में हिंदुओं और पुलिस के बीच झड़प की खबरें भी सामने आईं थी। बांग्लादेश में इस्कॉन महंत चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में जेल भेजे जाने के बाद से हिंदू समुदाय आक्रोश में है और विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज किया है जिसमें एक शख्स की जान चली गई। बांग्लादेश ट्रिब्यून के मुताबिक हिंसा में कई लोग घायल भी हुए हैं। गौरतलब है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और दमन के मुद्दों पर इस तरह के विरोध प्रदर्शन लगातार तेज हो रहे हैं।

इस बीच ब्रिटिश सांसदों के एक समूह ने ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड लैमी को चिट्ठी लिखकर शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से चरमपंथियों के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ चेतावनी दी है। ब्रिटेन की सर्वदलीय संसदीय समूह ने कहा है कि शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से 2,000 से अधिक हिंसा के मामले को लेकर आगाह किया है।

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