महालक्ष्मी हत्याकांड में बड़ा, खुलासा शव के 30 नहीं बल्कि 50 किए गए थे टुकड़े

बेंगलुरु के खौफनाक महालक्ष्मी मर्डर कांड में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। महालक्ष्मी का शव उसके ही किराये के फ्लैट में पाया गया था, जिसके हत्यारा टुकड़े-टुकड़े कर गया और फ्रिज में रख गया था। इस कांड ने ऐसी सनसनी फैला दी है कि बेंगलुरु में बाहरी बनाम स्थानीय वाली बहस भी शुरू हो चुकी है। पुलिस का कहना है कि कातिल ने महालक्ष्मी के शव के 30 नहीं बल्कि 50 टुकड़े किए थे। इसकी वजह यह है कि पुलिस का कहना है कि महालक्ष्मी की हत्या में कर्नाटक के बाहर के रहने वाले किसी शख्स का हाथ है। वहीं बेंगलुरु पुलिस ने अशरफ नाम के शख्स को भी गिरफ्तार करके पूछताछ की है, जिसे महालक्ष्मी के पति ने आरोपी बताया था।

महालक्ष्मी के पति हेमंत दास का कहना था कि उसकी पत्नी कई महीने से अशरफ के साथ थी और दोनों के बीच अनबन हो गई थी। अशरफ उसे ब्लैकमेल कर रहा था और शायद इसीलिए उसने महालक्ष्मी का कत्ल कर दिया। वहीं टीवी 9 कन्नड़ की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने अशरफ से पूछताछ की है और अब तक इस कांड में उसके शामिल होने के सबूत नहीं मिले हैं। इस बीच एक अन्य शख्स पर पुलिस का संदेह गहरा रहा है। उसके बारे में कहा जा रहा है कि वह ओडिशा या बंगाल का रहने वाला है। वह अकसर महालक्ष्मी से मिलने आया करता था। फिलहाल उस शख्स की ही तलाश में जुटी है।

पुलिस जिस चीज पर सबसे ज्यादा हैरान है, वह यह कि घर में खून का एक दाग तक नहीं मिला। महालक्ष्मी के शरीर के टुकड़े तो पाए गए हैं, लेकिन खून का एक कतरा भी नहीं मिल पाया। पुलिस का कहना है कि सबूत मिटाने के लिए हत्यारे ने बहुत चालाकी से खून के धब्बे ही खत्म कर दिए। शायद इसके लिए किसी केमिकल का इस्तेमाल किया गया है। पुलिस ने एफएसएल की टीम को बुलाया था, जिसने कोना-कोना खंगाल लिया, लेकिन खून का एक दाग तक नहीं मिला। महज एक दाग फ्रिज में खून का पाया गया है। इससे संदेह है कि किसी खास केमिकल से हत्यारा पूरा खून साफ कर गया।

हत्या के कारण का भी अभी कोई खुलासा नहीं

फिलहाल पुलिस महालक्ष्मी के मोबाइल फोन की भी जांच कर रही है। अब तक यह भी साफ नहीं हो सका है कि महालक्ष्मी के ऐसे वीभत्स कत्ल की क्या वजह रही। पुलिस का कहना है कि हत्या का कारण भी तभी पता चल सकेगा, जब हत्यारा पकड़ में आ जाए। महालक्ष्मी के शव के टुकड़े फ्रिज में रखे होने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं, जो इतनी वीभत्स हैं कि प्रकाशित तक नहीं किया जा सकता।

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