विश्वकर्मा पूजा कब और क्यों मनाई जाती है, जानें इसके पीछे की वजह

हर साल भगवान विश्वकर्मा पूजा का पर्व बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही फल, मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाया जाता है। इस खास अवसर पर लोग अपने वाहन, मशीन और औजार आदि की उपासना करते हैं। क्या आपको पता है कि विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja 2024) का त्योहार क्यों मनाया जाता है। अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

कब है विश्वकर्मा पूजा

पंचांग के अनुसार, 16 सितंबर को शाम को 07 बजकर 53 मिनट पर सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश कर चुके हैं। ऐसे में आज यानी 17 सितंबर (Vishwakarma Jayanti 2024 Date) विश्वकर्मा पूजा का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन अनंत चतुर्दशी और गणेश विसर्जन का पर्व मनाया जा रहा है।

ये है वजह

धार्मिक मान्यता है कि कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा (Vishwakarma Puja History) का अवतरण हुआ था। इसी वजह से इस दिन को विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा को स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, कुबेरपुरी जैसे सभी देवनगरी का रचनाकार कहा जाता है। इसके अलावा भगवान विश्वकर्मा ने सोने की लंका और भगवान श्रीकृष्ण के लिए द्वारका नगरी का निर्माण किया था। धार्मिक मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर भगवान विश्वकर्मा की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से जातक को कार्यक्षेत्र में आ रही बाधा से मुक्ति मिलती है और बिज़नेस में अपार सफलता प्राप्त होती है।

मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा के दौरान मंत्रों जप न करने से साधक शुभ फल की प्राप्ति से वंचित रहता है। इसलिए निम्न मंत्रों का जप करना बिल्कुल भी न भूलें।

स्तुति मंत्र:

नमस्ते विश्वकर्माय, त्वमेव कर्तृता सदा।

शिल्पं विधाय सर्वत्र, त्वं विश्वेशो नमो नमः।।

पूजा मंत्र:

ॐ आधार शक्तपे नमः,

ॐ कूमयि नमः,

ॐ अनंतम नमः,

ॐ पृथिव्यै नमः,

ॐ विश्वकर्मणे नमः।।

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