ग्रेटर नोएडा के लिए अब अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी मुश्किल, 2017 में BCCI ने किया था बैन

अफगानिस्तान-न्यूजीलैंड के बीच लगातार दूसरे दिन टेस्ट मैच शुरू नहीं होने के बाद ग्रेटर नोएडा के शहीद विजय सिंह पथिक स्टेडियम का भविष्य अब मैच रेफरी जवागल श्रीनाथ की रिपोर्ट पर निर्भर करेगा। आईसीसी किसी भी अंतरराष्ट्रीय स्थल के लिए मानक प्रोटोकाल का पालन करेगा जहां मैच रेफरी की रिपोर्ट पर आगे की कार्रवाई होगी। श्रीनाथ को मैदान की गीली आउटफील्ड का आकलन करना होगा।

नवंबर 2023 में लागू हुई आईसीसी की ‘पिच और आउटफील्ड निगरानी प्रक्रिया’ के अनुसार, प्रत्येक मैच के बाद मैच रेफरी पिच व आउटफील्ड रिपोर्ट से जुड़ी फार्म को आइसीसी के सीनियर क्रिकेट संचालक के प्रबंधक को भेजेगा। इसमें रेफरी के साथ अंपायरों व दोनों कप्तानों की टिप्पणियां भी होती है।

12 महीने तक इंटरनेशनल मैचों की मेजबानी से निलंबित हो सकता है ग्रेटर नोएडा का ये स्टेडियम

रिपोर्ट के मिलने के 14 दिन के अंदर आइसीसी सीनियर क्रिकेट संचालक के प्रबंधक इसे मेजबान बोर्ड को भेजकर स्टेडियम पर लगाए गए डिमेरिट अंकों की जानकारी देते हैं। नियमों के अनुसार, मैच रेफरी के पास अगर पिच या आउटफील्ड को असंतोषजनक या अनफिट रेटिंग देने का कारण है, तो मेजबान स्थल को डिमेरिट अंक दिए जाएंगे। ये डिमेरिट अंक पांच साल तक प्रभावी रहते है।

ग्रेटर नोएडा स्थल के नाम अगर छह या उससे अधिक डिमेरिट अंक हो जाते है तो उसे 12 महीने तक अंतरराष्ट्रीय मैचों की मेजबानी से निलंबित कर दिया जाएगा। हालांकि एक मैच के लिए अधिकतम तीन डिमेरिट अंक दिए जा सकते हैं और इस आयोजन स्थल को निलंबित करने के लिए एक और ऐसे मैच की जरूरत होगी। अब देखना होगा कि क्या एसीबी ऐसे स्थान पर मेजबानी जारी रखना चाहेगा, जो निकट भविष्य में खराब बुनियादी ढांचे के कारण निलंबित हो सकता है।

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