RBI ने P2P लेंडिंग प्लेटफॉर्म के लिए मानदंड किए सख्त, पारदर्शिता और अनुपालन में सुधार की उम्मीद

रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को पारदर्शिता और अनुपालन में सुधार के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी -पीयर टू पीयर लेंडिंग प्लेटफॉर्म (एनबीएफसी-पी2पी लेंडिंग प्लेटफॉर्म) के लिए मानदंड कड़े कर दिए।

आरबीआई द्वारा जारी संशोधित मास्टर निर्देश के अनुसार, पी2पी प्लेटफॉर्म को निवेश उत्पाद के रूप में पीयर-टू-पीयर लेंडिंग को बढ़ावा नहीं देना चाहिए, जिसमें अवधि-लिंक्ड सुनिश्चित न्यूनतम रिटर्न, लिक्विडिटी विकल्प आदि जैसी विशेषताएं हों।

2017 जारी किए गए दिशा-निर्देश

उसने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी – पीयर टू पीयर लेंडिंग प्लेटफॉर्म (एनबीएफसी-पी2पी लेंडिंग प्लेटफॉर्म) को किसी भी बीमा उत्पाद को क्रॉस-सेल नहीं करना चाहिए, जो क्रेडिट वृद्धि या क्रेडिट गारंटी की प्रकृति का हो।

जब तक ऋणदाताओं और उधारकर्ताओं का मिलान/मैपिंग बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार नहीं किया जाता है, तब तक कोई ऋण वितरित नहीं किया जाना चाहिए।

आरबीआई ने 2017 में पी2पी लेंडिंग के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। ऐसा प्लेटफॉर्म एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है जो पीयर-टू-पीयर लेंडिंग में शामिल प्रतिभागियों को एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस/प्लेटफॉर्म प्रदान करता है।

हालांकि, यह देखा गया है कि इनमें से कुछ प्लेटफॉर्म ने कुछ ऐसी प्रथाओं को अपनाया है, जो मास्टर डायरेक्शन 2017 के प्रावधानों का उल्लंघन करती हैं।

तुरंत प्रभावी हुई नई गाइडलाइन

इसमें कहा गया है कि ऐसी प्रथाओं में, अन्य बातों के अलावा, निर्धारित फंड ट्रांसफर मैकेनिज्म का उल्लंघन, पीयर-टू-पीयर लेंडिंग को निवेश उत्पाद के रूप में बढ़ावा देना, जिसमें अवधि से जुड़े सुनिश्चित न्यूनतम रिटर्न जैसी विशेषताएं शामिल हैं। 

इसमें लिक्विडिटी विकल्प प्रदान करना और कई बार प्लेटफॉर्म होने के बजाय जमाकर्ता और उधारदाता की तरह काम करना शामिल है।  कुछ संस्थाओं द्वारा उल्लंघन के मद्देनजर, आरबीआई ने संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए। संशोधित दिशा-निर्देश तुरंत प्रभावी हो गए हैं।

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker