CBI ने छत्तीसगढ़ PSC भर्ती घोटाले में दर्ज की FIR, राज्य में कई जगह मारा छापा

सीबीआई ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) में हुए कथित घोटाले की जांच सोमवार को अपने हाथ में ले ली है। सीबीआई ने सीजीपीएससी के पूर्व अध्यक्ष और अन्य के खिलाफ ‘भाई-भतीजावाद’ रैकेट के संबंध में एक एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि राज्य में कांग्रेस शासन के दौरान नेताओं, पीएससी अधिकारियों और सरकारी अधिकारियों के परिवार के अयोग्य सदस्यों को आकर्षक सरकारी नौकरियों में भर्ती किया गया था।

अधिकारियों ने बताया कि सीजीपीएससी के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, पूर्व सचिव जीवन किशोर ध्रुव और एक परीक्षा नियंत्रक पर उनके बेटों, बेटियों, रिश्तेदारों और परिचितों को डिप्टी कलेक्टर, डिप्टी एसपी और ऐसे अन्य पदों पर भर्ती सुनिश्चित करने के लिए मेरिट लिस्ट में आगे बढ़ाने में मदद करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।

सीबीआई ने रायपुर और भिलाई में की छापेमारी

आरोप है कि 2022 सीजीपीएससी परीक्षा में हेराफेरी हुई, जिसके परिणाम 11 मई 2023 को घोषित किए गए थे। सीबीआई ने सोमवार को रायपुर और भिलाई में सोनवानी, ध्रुव और अन्य के आवासीय परिसरों पर छापेमारी की।सीबीआई ने छत्तीसगढ़ सरकार के 16 फरवरी के एक संदर्भ पर जांच अपने हाथ में ली।

सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि प्रक्रिया के अनुसार, एजेंसी ने एफआईआर फिर से दर्ज की, जिसकी जांच पहले राज्य पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने की थी। छत्तीसगढ़ में नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया था।

एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारियों और राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं सहित प्रमुख नेताओं के परिवार के सदस्य भर्ती के मुख्य लाभार्थी थे। इसमें आरोप लगाया गया है कि सोनवानी के परिवार के पांच सदस्य भर्ती प्रक्रिया में लाभार्थी थे। इनमें बेटा नितेश और बहू निशा कोसले डिप्टी कलेक्टर, बड़े भाई का बेटा साहिल डिप्टी एसपी, बहू दीपा आदिल जिला आबकारी अधिकारी और बहन की बेटी सुनीता जोशी श्रम अधिकारी के पद पर नियुक्त हुए।

सीबीआई के एक प्रवक्ता ने कहा, “यह भी आरोप लगाया गया है कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के तत्कालीन सचिव (ध्रुव) ने अपने बेटे (सुमित) को उप जिलधिकारी के पद पर चयनित कराया।’’

सीबीआई की एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि मेरिट लिस्ट सूची में सीरियल नंबर 1-171 जगह बनाने वाले अभ्यर्थी कथित तौर पर सरकारी अधिकारियों, नेताओं और प्रभावशाली व्यक्तियों से जुड़े हैं।

इसमें डिप्टी कलेक्टरों की लिस्ट दी गई है जिनमें- छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के सचिव अमृत कुमार के बेटे निखिल और बेटी नेहा, बस्तर नक्सल अभियान के डीआईजी पी.एल. ध्रुव की बेटी साक्षी, कांग्रेस के एक नेता की बेटी अनन्या अग्रवाल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुधीर कटियार की बेटी भूमिका कटियार और दामाद शशांक गोयल, कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला की बेटी स्वर्णिम शुक्ला और कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के पुत्र राजेंद्र कुमार कौशिक शामिल हैं।

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कांग्रेस नेताओं के सहयोगियों के रिश्तेदार, जिनमें प्रज्ञा नायक, जिसका चयन डिप्टी कलेक्टर के रूप हुआ था, प्रखर नायक जिसका चयन वित्तीय सेवा अधिकारी के रूप में हुआ था और खुशबू बिजौरा जिसका चयन डिप्टी कलेक्टर के रूप में हुआ था, ये सभी कथित घोटाले के लाभार्थी थे।

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि यदि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के किसी अधिकारी के रिश्तेदार परीक्षा में बैठते हैं, तो संबंधित व्यक्ति को आयोग के अन्य सदस्यों और अधिकारियों को सूचित करने के बाद खुद को इस प्रक्रिया से अलग करना होता है, जो सोनवानी ने नहीं किया।

आरोप है कि सोनवानी ने नियमों का उल्लंघन किया और अपने परिवार के सदस्यों और अन्य अधिकारियों और प्रभावशाली व्यक्तियों के रिश्तेदारों का चयन किया, जिसे भ्रष्टाचार माना जाता है।

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि “परीक्षा में अच्छे नंबर लाने वाले अभ्यर्थी पीएससी अधिकारियों, सरकारी अधिकारियों और नेताओं के रिश्तेदार हैं। यह भी आरोप लगाया गया है कि अभ्यर्थियों को पहले से ही परीक्षा का पेपर उपलब्ध करा दिया गया था, जिससे उन्हें अच्छे अंक मिले और परिणामों में अच्छी रैंक मिली।”

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