गाजियाबाद में बैंक कर्मचारी ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट के आधार पर सहकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज

गाजियाबाद में बैंक कर्मचारी के आत्महत्या करने का मामला सामने आया है। घूकना निवासी शिवानी त्यागी द्वारा 12 जुलाई को की गई आत्महत्या के मामले में नंदग्राम थाना पुलिस ने भाई की शिकायत पर केस दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि शिवानी के भाई ने सुसाइड नोट के आधार पर रिपोर्ट दर्ज कराई है। जिसमें शिवानी के सहकर्मियों पर मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है।

नंदग्राम थानाक्षेत्र के घूकना स्थित हरी नगर में रहने वाले गौरव त्यागी का कहना है कि उसकी बहन शिवानी त्यागी नोएडा स्थित एक्सिस हाउस में जॉब करती थी। शिवानी ने 12 जुलाई को जहरीला पदार्थ खा लिया था। परिजनों द्वारा उसे जिला एमएमजी अस्पताल ले जाया गया, जहां शिवानी की गंभीर हालत को देखते हुए उसे दिल्ली के जीटीबी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया था। जीटीबी में उपचार के दौरान मौत हो गई।

गौरव त्यागी की मानें तो आत्महत्या से 5-6 दिन पहले शिवानी ने परिजनों को अपनी परेशानी बताई थी। उसने बताया था कि उसके साथ काम करने वाले ज्योति चौहान, मोहम्मद अकरम, नजमुश साकिब समेत स्टाफ के अन्य लोग उसे मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान कर रहे हैं। इसके अलावा शिवानी के कमरे से एक सुसाइड नोट भी मिला, जिसमें शिवानी ने अपनी मौत का जिम्मेदार उक्त लोगों को ठहराया है।

सुसाइड नोट में क्या लिखा?

शिवनी ने अपने पांच पन्नों के सुसाइड नोट में लिखा, ज्योति चौहान नाम की लड़की पिछले 5-6 महीने से मुझे परेशान कर रही है, मेरा मजाक उ़ड़ाती है। उसकी कई बार  शिकायत की लेकिन फिर उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

शिवनी ने आगे लिखा, सभी टीममेट लड़ाई को एन्जॉय करते थे। गिरिजा मैम जिनको मैं दीदी बोलती थी, वह मेरे साथ डबल गेम खेलती रही और मुझे पता नहीं लगा। वह खुद को ऐसे दिखाती जैसे सबसे ज्यादा सच बोलती है। शिवनी ने लिखा, मैं अब इतनी डिस्टर्ब हो गई हूं कि अपनी लाइफ को स्टॉप कर रही हूं।शिवनी ने अपने सुसाइड नोट में उसे परेशान करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की गई है। उसने लिखा, इन सभी लोगों ने मुझे मजबूर किया है मरने के लिए। इन लोगों की वजह से मैं सुसाइड कर रही हूं। शिवानी ने भाई के नाम सुसाइड नोट लिख, अपनी बैंक खाते की सारी जानकारी दी और कहा, मम्मी जी, पापाजी और दीदी को संभाल लेना और मेरे गुनहगारों को सजा जरूर दिलवाना। 

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