हिंदू याचिकाकर्ता ने भोजशाला के सर्वेक्षण में शामिल होने की अनुमति मांगी, HC ने कही यह बात
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने धार की भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर में जारी सर्वेक्षण में शामिल होने संबंधी हिंदू पक्षकार की मांग को ठुकरा दिया है। याचिकाकर्ता कुलदीप ने मांग की थी कि भोजशाला विवाद के मुकदमे के पक्षकारों में से एक व्यक्ति को सर्वेक्षण में शामिल होने की अनुमति दी जाए। जिससे इनकार करते हुए अदालत ने कहा कि इस अनुमति का कोई आधार नहीं बनता है। भोजशाला विवाद के मुकदमे की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी।
22 मार्च ेसे जारी है वैज्ञानिक सर्वेक्षण
बता दें कि उच्च न्यायालय के आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) धार स्थित भोजशाला के विवादित परिसर में 22 मार्च से सर्वेक्षण कर रहा है और आज शुक्रवार को इस सर्वे का 15वां दिन है। सर्वेक्षण का आदेश भोजशाला मसले से जुड़े मुकदमे के पक्षकारों में शामिल एक संगठन ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के आवेदन पर दिया गया था।
हाईकोर्ट में चल रही 4 मामलों की सुनवाई
उच्च न्यायालय इस मसले को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्षों की दायर चार याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रहा है। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस ए धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह ने इनमें से एक याचिका दायर करने वाले लोगों में शामिल कुलदीप तिवारी की एक अर्जी सभी संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद गुरुवार को खारिज कर दी।
याचिकाकर्ता कुलदीप तिवारी लखनऊ के रहने वाले हैं और उन्होंने इस अर्जी में भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर में जारी सर्वेक्षण के दौरान इस स्थल पर खुद मौजूद रहकर शामिल होने की अनुमति मांगी थी।
ASI की रिपोर्ट के आधार पर होगा फैसला
युगल पीठ ने तिवारी की अर्जी खारिज करते हुए बताया कि उन्होंने अपनी मूल याचिका में इस परिसर के ASI सर्वेक्षण की कोई गुहार नहीं लगाई है। अदालत ने यह भी कहा, ‘ASI का सर्वेक्षण खत्म होने की कगार पर है। आखिरकार, सर्वेक्षण खत्म होने के बाद ASI की सौंपी जाने वाली रिपोर्ट के आधार पर ही (भोजशाला मसले में दायर) याचिकाओं पर फैसला होना है।’
29 अप्रैल को होगी विवाद की अगली सुनावाई
उच्च न्यायालय ने भोजशाला विवाद के मुकदमे की अगली सुनवाई के लिए 29 अप्रैल की तारीख तय की है।
हिंदू पक्ष मानता है देवी सरस्वती का मन्दिर
बता दें कि भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम समुदाय 11वीं सदी के इस परिसर को कमाल मौला मस्जिद बताता है। भोजशाला का मध्ययुगीन परिसर ASI द्वारा संरक्षित है।
मंगलवार को पूजा और शुक्रवार को नमाज
भोजशाला को लेकर विवाद शुरू होने के बाद ASI ने 7 अप्रैल 2003 को एक आदेश जारी किया था, जिसके आधार पर पिछले 21 साल से चली आ रही व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है।