उत्तराखंड: सीएम धामी सरकार में अनसुनी रह गई लोगों की शिकायतें, तीन गुना तक बढ़ी शिकायत

उत्तराखंड में लोगों की शिकायतों का समाधान करने में सरकारी लापरवाही हावी है। साल की शुरूआत भी इसी सुस्ती से हुई है। इस साल जनवरी में विभिन्न पोर्टलों और विभागों के जरिए सरकार को साढ़े तीन हजार से ज्यादा शिकायतें मिलीं, लेकिन इसमें समाधान केवल 32 फीसदी शिकायतों का ही हुआ।

68 प्रतिशत शिकायतें सुनी तक नहीं गईं। इसका खुलासा प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत

विभाग https//darpg.gov.in/ की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2024 में उत्तराखंड सरकार को 3,892 शिकायतें प्राप्त हुईं। महीना समाप्त होते-होते इनमें से केवल 1,215 शिकायतों का ही समाधान किया जा सका। 2677 शिकायतें महीना पूरा होने के बाद भी लंबित हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक शिकायतों की संख्या हर साल बढ़ रही लेकिन इसके उलट समाधान की गति धीमी पड़ती जा रही है। 22 सबसे खराब राज्यों में उत्तराखंड रिपोर्ट के मुताबिक जनसमस्याओं की अनदेखी करने वाले सबसे खराब राज्यों में उत्तराखंड भी शामिल है।

ऐसे राज्यों को सबसे खराब माना गया है जहां हजार से ज्यादा शिकायतें लंबित हैं। इसमें उत्तराखंड 19वें स्थान पर है। देश में सबसे खराब स्थिति ओडिसा की है। इसके बाद पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र हैं।

तीन गुना बढ़ी शिकायतें

इसी साल जनवरी में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग की 17वीं रिपोर्ट जारी हुई थी। जिसमें बताया गया था कि एक जनवरी 2023 से 31 दिसंबर 2023 तक कुल 15,774 शिकायतें सरकार को मिलीं। इनमें से 13,139 का निस्तारण किया गया।

2635 शिकायतें पेंडिंग रह गईं। देखा जाए तो बीते साल सरकार को हर माह औसतन 1300 शिकायतें प्राप्त हुई थीं। यानी इस साल जनवरी में प्राप्त शिकायतों की तुलना में ये आंकड़ा तीन गुना अधिक है।

ऐसे दर्ज कराई जाती है शिकायत

केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली के माध्यम से लोग अपनी शिकायतें चौबीस घंटे में कभी भी दर्ज करा सकते हैं। ये भारत सरकार और राज्यों के सभी मंत्रालयों/विभागों से जुड़ा एक पोर्टल है। गूगल प्ले स्टोर के जरिए इसका ऐप डाउनलोड किया जा सकता है। उमंग ऐप में भी ये सुविधा मौजूद है।

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