सरकार ने किसान संगठनों को फिर दिया बातचीत का न्योता, कृषि मंत्री ने कही यह बात

केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक एमएसपी समेत कई अन्य मुद्दों को सुलझाने के लिए फॉर्मूले पर सहमति नहीं बन पाई है। इस बीच कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने एक बार फिर किसानों को पांचवें दौर की बातचीत का न्योता दिया है। उन्होंने चौथे दौर में दोनों पक्षों के बीच हुई बातचीत का भी ब्योरा दिया।

क्या बोले अर्जुन मुंडा?

मुंडा ने कहा कि सरकार चौथे दौर के बाद पांचवें दौर में सभी मुद्दे जैसे की एमएसपी की मांग, क्रॉप डायवर्सिफिकेशन, पराली का विषय, FIR पर बातचीत के लिए तैयार है। मैं दोबारा किसान नेताओं को चर्चा के लिए आमंत्रित करता हूं। हमें शांति बनाए रखना जरूरी है।

गौरतलब है कि किसानों के 21 फरवरी से फिर दिल्ली कूच के एलान पर अर्जुन मुंडा ने मंगलवार को भी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि किसान नेताओं ने एमएसपी पर सरकार के प्रस्ताव को ही खारिज कर दिया है। मैं किसानों और किसान संगठनों से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं। साथ ही उन्होंने मुद्दों के समाधान के लिए चर्चा करने की बात की। उन्होंने किसानों से अपील में कहा था कि हमें मुद्दे पर चर्चा करते रहना चाहिए, हम सभी शांति चाहते हैं और हम सबको मिलकर समस्या का समाधान निकालना है। 

हमें समाधान के लिए चर्चा जारी रखनी होगी- अर्जुन मुंडा

केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि हमारी सरकार की ओर से चर्चा की कोशिशें की गई, कई प्रस्तावों पर भी चर्चा हुई। हमें बाद में पता चला कि किसान प्रस्ताव से खुश नहीं है। किसान संगठनों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि हमें समाधान के लिए चर्चा जारी रखनी होगी क्योंकि शांतिपूर्वक तरीके से हमें समाधान निकालना होगा। 

सरकार के प्रस्तावों पर किसान संगठनों ने क्या कहा?

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) सहित आंदोलनकारी किसान संगठनों ने केंद्र द्वारा रखे गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। वार्ता का हिस्सा रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने सरकार की मंशा पर संदेह जताया है। डल्लेवाल ने सरकार को सभी 23 फसलों को कवर करते हुए एमएसपी के लिए एक व्यापक फॉर्मूला तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। डल्लेवाल ने कहा कि वह फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए किसी प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट की प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे। डल्लेवाल ने कहा कि उन्होंने सभी किसान संगठनों के साथ बातचीत की, लेकिन पांच फसलों पर पांच साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट वाले प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन पा रही। 

सरकार ने किसानों के सामने क्या-क्या प्रस्ताव रखे थे?

13 फरवरी से शुरू हुए किसान आंदोलन में किसान संगठनों की सबसे बड़ी मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को लेकर है। उनका कहना है कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार फसलों पर एमएसपी मिले। पिछले किसान आंदोलन में भी यह मांग प्रमुख थी। समाधान पर चर्चा के लिए  अंतिम वार्ता 18 फरवरी को हुई थी। इसमें सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय ने हिस्सा लिया। पीयूष गोयल के मुताबिक, सरकार ने मिलकर एक बहुत ही सुलझा हुआ विचार प्रस्तावित किया। सरकार समर्थित राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता (एनसीसीएफ) और नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नफेड)  जैसी सहकारी समितियां अगले पांच साल के लिए एक अनुबंध करेंगी। इस अनुबंध के तहत समितियां किसानों से एमएसपी पर उत्पाद खरीदेंगी, जिसमें मात्रा की कोई सीमा नहीं होगी। सरकार के अनुसार ये समितियां एमएसपी पर कपास और मक्का के अलावा तीन दालों अरहर, उड़द और मसूर की खरीद करने के लिए तैयार हैं। 

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