मौनी अमावस्या पर सर्वार्थसिद्धि व बुधादित्य योग का महासंयोग

माघ मास की मौनी अमावस्या 9 फरवरी को सर्वार्थसिद्धि व बुधादित्य योग के महासंयोग में आएगी। धर्मशास्त्र के जानकारों के अनुसार इस दिन शिप्रा स्नान व दान पुण्य का महाफल प्राप्त होता है। साथ ही पितृकर्म करने से घर परिवार में सुख शांति तथा आर्थिक प्रगति के योग बनते हैं।

ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या मौनी अमावस्या के नाम से जानी जाती है। इस बार मौनी अमावस्या 9 फरवरी को शुक्रवार के दिन श्रवण नक्षत्र, व्यतिपात योग, शकुनी करण तथा मकर राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है। खास बात यह भी है कि इस दिन महोदय नाम का योग रहेगा। महोदय योग विशिष्ट योगों की श्रेणी में आता है। माघ मास में इस योग का विशेष महत्व बताया गया है।

सुबह 8 बजे तक चतुर्दशी, इसके बाद अमावस्या

9 फरवरी शुक्रवार को सुबह 8 बजे तक चतुर्दशी तिथि रहेगी तथा इसके बाद अमावस्या तिथि लगेगी। ज्योतिष गणना में शुक्रवार के दिन चतुर्दशी के साथ अमावस्या का संयोग, श्रवण तथा व्यतिपात योग और शकुनीकरण की साक्षी महोदय योग का निर्माण करती है। अमावस्या पर महोदय योग सुबह 8 बजकर 4 मिनट से शाम 7 बजकर 6 मिनट तक रहेगा। इस योग में दान, पुण्य, साधना, तीर्थ यात्रा, पितरों की पूजा आदि का विशेष महत्व बताया जाता है।

साधना की सिद्धि के लिए सर्वोत्तम सर्वार्थसिद्धि योग

शुक्रवार के दिन श्रवण नक्षत्र की उपस्थिति सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण करती है। सर्वार्थ सिद्धि योग में सभी कार्यों की पुष्टि मानी जाती है, किंतु कृष्ण पक्ष होने से और अमावस्या तिथि होने से कोई नया कार्य नहीं किया जा सकता है। फिर भी इस दिन अनुष्ठान की सिद्धि, साधना की सिद्धि, उपासना की सिद्धि की जा सकती है।

पितरों की प्रसन्नता के लिए श्रेष्ठ बुधादित्य योग

अमावस्या पर बुधादित्य योग की साक्षी भी रहेगी। वर्तमान में सूर्य मकर राशि में गोचर कर रहे हैं और 1 फरवरी को बुध भी मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे। इस दृष्टि से मौनी अमावस्या के दिन केंद्र में बुध सूर्य की स्थिति बुधादित्य योग बन रही है। यह पितरों की प्रसन्नता के लिए विशेष योग माना जाता है। इस योग में पितरों की पूजन या ग्रहों की शांति की जा सकती है। जिनकी कुंडली में सूर्य ग्रहण है या सूर्य पापा क्रांत है वह भी इस दिन सूर्य की शांति या ग्रहण की शांति कर सकते हैं इससे बाधाओ की निवृत्ति होती है।

लक्ष्मी प्राप्ति के लिए यह रात्रि खास

अमावस्या तिथि रात्रि साधना के लिए विशेष मानी जाती है। इस दिन दरिद्रता के निवारण के लिए रात्रि में माता लक्ष्मी की साधना का विधान शास्त्र में बताया गया है। कुछ ना हो सके तो कनकधारा स्त्रोत या लक्ष्मी स्तोत्र के पाठ की आवृतियां मध्य रात्रि में की जा सकती हैं। इससे भी आर्थिक रास्ते खुलते हैं व कार्य की प्रगति होती है।

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