उत्तराखंड में विकास कार्यों पर खर्च का ग्राफ बढ़ा, चार साल में पहली बार सबसे कम कर्ज 

उत्तराखंड में विकास कार्यों में खर्च का ग्राफ बढ़ गया है। विकास कार्यों के लिए तय पूंजीगत मद में इस साल खर्च 10 हजार करोड़ रुपये से ऊपर रहने का अनुमान है। इस मद में अब तक छह हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा चुके हैं।

पहली छमाही में पूंजीगत बजट के खर्च में जिस प्रकार पिछले कई वर्षों का रिकार्ड टूटा है, उससे वर्तमान वित्तीय वर्ष में बजट खर्च का रिकार्ड बनने की उम्मीदों को बल मिला है। प्रदेश के वित्त मंत्री डॉ.प्रेमचंद अग्रवाल कहते हैं कि वर्तमान वित्तीय वर्ष के पूरा होने अभी साढे तीन महीने का वक्त बाकी है।

इस अवधि में विकास कार्यों पर खर्च का प्रतिशत और बढ़ेगा। मालूम हो कि बजट का समय पर और पूरा खर्च न होना राज्य के लिए बड़ी चुनौती रहा है। इस चुनौती से पार पाने के लिए सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में वित्तीय प्रबंधन के लिए कई सख्त प्रावधान किए हैं।

विकास योजनाओं पर खर्च करने के लिए विभागों के हाथों को भी काफी कुछ खुला रखा है। इसका नतीजा यह है कि विभाग विकास योजनाओं पर अधिक तेजी से धन खर्च कर पाए हैं।

पूंजीगत मद में पहली छमाही में बन चुका नया रिकार्ड पूंजीगत मद में राज्य नया रिकार्ड बना चुका है। वर्ष 2020-21 में 1082 करोड़, वर्ष 2021-22 में 2805 करोड़, वर्ष 2022-23 में 2138 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए थे। इस साल 2023-24 में रिकार्ड बढोत्तरी होते हुए यह राशि 4798 करेाड़ रुपये हो गई थी।

चार साल में पहली बार सबसे कम कर्ज लिया

वित्तीय प्रबंधन का असर बाजार कर्ज पर भी पड़ा है। पिछले चार साल में पहली बार राज्य ने खुले बाजार से सबसे कम कर्ज लिया है। वर्ष 2020-21 में 6200 करोड़, 2021-22 में 3200 करोड, 2022-23 में 3200 करोड़ कर्ज लिया गया था। इस वर्ष 2023-24 में यह राशि अब तक महज 2300 करोड़ रुपये ही है।

विकास योजनाओं के लिए तय पूंजीगत बजट का ज्यादा से ज्यादा खर्च होना विकास की गति को भी जाहिर करता है। अब तक स्थिति काफी बेहतर है और इस वित्तीय वर्ष के अंत तक पूंजीगत मद में ज्यादा से ज्यादा बजट उपयोग होगा। जल्द ही कुछ प्रमुख विभागों की बजट खर्च की समीक्षा भी की जाएगी। अधिकारियों को इसकी तैयारी करने के निर्देश दे दिए गए हैं। 

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