एकनाथ शिंदे ने मराठा आंदोलन पर निकाले तीन रास्ते, कल से ही योजना पर काम होगा शुरू

मराठा आरक्षण के लिए चल रहे आंदोलन ने हिंसक रवैया अख्तियार कर लिया है। इस बीच महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने आंदोलन को शांत कराने के लिए तीन सूत्रीय फॉर्मूले पर बढ़ने का फैसला लिया है। राज्य के कई हिस्सों में सोमवार को मराठा आंदोलन हिंसक हो गया और एनसीपी के विधायक प्रकाश सोलंके के आवास पर भीड़ ने हमला बोल दिया। कई गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया गया। इस बीच सीएम एकनाथ शिंदे ने आरक्षण को लेकर बनाई गई सब-कमिटी की मीटिंग बुलाई। इस मीटिंग में तीन फैसले हुए हैं, जिस पर एकनाथ शिंदे सरकार अमल करके मराठा आंदोलन को शांत करने की योजना बना रही है।

इसके तहत पहला कदम यह है कि रिटायर्ड जस्टिस संदीप शिंदे कमेटी की सिफारिशों के आधार पर मराठा समुदाय के लोगों को तत्काल कुनबी जाति का सर्टिफिकेट दिया जाए। महाराष्ट्र में यह बिरादरी ओबीसी के तहत आती है। इसके बाद दूसरा कदम यह होगा कि मराठा आरक्षण की बहाली के लिए सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से पक्ष रखा जाए। सरकार ने 12 पर्सेंट आरक्षण शिक्षण संस्थानों में और 13 फीसदी नौकरियों में देने का फैसला लिया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट न रोक लगा दी थी। 

कुनबी जाति का सर्टिफिकेट पाने वाले मराठा समुदाय के लोगों को ओबीसी कोटे का फायदा मिलेगा। हालांकि यह सर्टिफिकेट उन्हीं लोगों को मिलेगा, जिनका जिक्र निजाम के राज के दौरान रिकॉर्ड में कुनबी के तौर पर था। मराठवाड़ा क्षेत्र में निजाम के शासन के दौरान मराठा समुदाय के एक बड़े वर्ग को कुनबी के तौर पर जाना जाता था और उनका रिकॉर्ड भी पाया गया है। सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि जस्टिस संदीप शिंदे की कमेटी ने शुरुआती रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 17.2 मिलियन दस्तावेजों की जांच की गई है। इसमें 11530 दस्तावेज पाए गए हैं, जिनमें कुनबी का जिक्र है। 

उन्होंने कहा कि इसी रिकॉर्ड के आधार पर रेवेन्यू डिपार्टमेंट की ओर से पात्र लोगों को कुनबी जाति का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। यह काम मंगलवार से ही शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई भी शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि मराठा समुदाय को कैसे पिछड़ा माना जाए, इसके लिए एक विस्तृत स्टडी भी होगी। यह अध्ययन हम टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से कराएंगे।

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