MP: सुरखी और सागर सीट के नाम दर्ज है गजब का रिकॉर्ड, इस BJP विधायक को मिली थी बंपर जीत

लोकतंत्र का सबसे खूबसूरत त्योहार चुनाव होता है और इस चुनाव में एक-एक वोटर की काफी ज्यादा अहमियत होती है, क्योंकि महज एक वोट से किसी की सरकार भी गिर सकती है और एक ही वोट से नेता चुनाव जीतते भी हैं और सरकार का गठन भी करते हैं। ऐसे में आज बात सुरखी, सागर, बीना और खुरई विधानसभा की होगी।

सुरखी विधानसभा मतदाता

चुनाव आयोग के मुताबिक, सुरखी विधानसभा क्षेत्र में 2,24,353 मतदाताओं की संख्या है। इनमें 1,20,705 पुरुष, 1,03,645 महिला और तीन थर्ड जेंडर की मतदाता शामिल हैं। सागर जिले के अंतर्गत आने वाली सुरखी विधानसभा का चुनाव काफी रोचक रहा है, क्योंकि यहां से गोविंद सिंह राजपूत दो बार बेहत कम अंतराल से चुनाव गंवाना पड़ा है। हालांकि, गोविंद सिंह राजपूत के नाम सबसे बड़ी जीत का भी रिकॉर्ड दर्ज है। इससे यह तो साफ है कि मतदाता जब चाहे उम्मीदवार को अर्श से फर्श पर ला सकता है।

2020 विधानसभा उपचुनाव

साल 2020 के उपचुनाव में भाजपा की टिकट पर गोविंद सिंह राजपूत ने 40,991 वोटों के अंतर से चुनाव में जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को 93,294 वोट मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी पारुल साहू को 52,303 वोट मिले थे। इस प्रकार 2018 में भी उन्होंने 21,418 वोट से चुनाव जीता था, लेकिन 2018 के चुनाव में गोविंद सिंह राजपूत ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था और भाजपा प्रत्याशी सुधीर यादव को चुनावी मैदान में पटकनी दी थी। गोविंद सिंह राजपूत को 80,806, जबकि सुधीर यादव को 59,388 वोट हासिल हुए थे।

बेहद कम अंतर से हारे थे चुनाव

1998 में गोविंद सिंह राजपूत महज 193 वोट के अंतर से चुनाव हार गए थे। इस चुनाव में गोविंद सिंह राजपूत को 41,085 वोट मिले थे। वहीं, भूपेंद्र सिंह को 41,278 वोट हासिल हुए थे। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि भूपेंद्र सिंह से चुनावी पटकनी को हराने वाले गोविंद सिंह राजपूत को 1998 में उनके हाथों हार का भी सामना करना पड़ा था।

सुधा जैन के नाम दर्ज है अनोखा रिकॉर्ड

वहीं, सागर विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो यहां से 1993 में पहला चुनाव जीतने वाली सुधा जैन भी इससे अछूती नहीं हैं। उनके नाम पर भी कम अंतर से चुनाव जीतने का अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है। उन्होंने 1993 के चुनाव में 669 वोट से जीत दर्ज की थी। इसके बाद सुधा जैन तीन बार सागर से विधायक रही हैं।

हालांकि, 2008 में भाजपा ने उनका टिकट काटकर शैलेंद्र जैन को चुनावी मैदान में उतारा था और शैलेंद्र जैन पर लगाया गया भाजपा का दांव सही साबित हुआ। वह तीन बार से विधायक हैं और चौथी बार पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी बनाया है।

बीना क्षेत्र भी नहीं है इससे अछूता

बीना से विधायक महेश राय ने 2018 में कम अंतर से चुनाव में जीत दर्ज की थी। कांग्रेस प्रत्याशी शशि कैथोरिया के साथ उनकी बेहद कड़ी टक्कर हुई थी। हालांकि, वह 632 वोट से चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। इस चुनाव में महेश राय को 57,828, जबकि शशि कैथोरिया को 57,196 वोट मिले थे। फिलहाल शशि कैथोरिया भाजपा में शामिल हो गए हैं और पार्टी ने अभी तक इस सीट से प्रत्याशी का एलान नहीं किया है।

खुरई में 835 रहा जीत का अंतर

1980 में खुरई में हुए विधानसभा चुनाव में जीत का अंतर हजार से भी कम था। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी हरिशंकर प्रसाद अहिरवार महज 835 वोट से चुनाव जीते थे। उस वक्त उन्हें 20,230 वोट मिले थे, जबकि भाजपा प्रत्याशी किशर राज के हिस्से में 19,395 वोट आए थे।

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