अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन जल्द करेंगे इजरायल का दौरा, खुलकर किया समर्थन

रूस-यूक्रेन युद्ध के बुरे प्रभाव से दुनिया उबर ही रही थी कि एक और युद्ध ने दस्तक दे दी।  इजरायल ने हमास आतंकियों (Hamas) के खिलाफ जंग छेड़ दी है। तकरीबन 11 दिनों से चल रहे इस जंग में 1,400 इजरायली नागरिक मारे जा चुके हैं। वहीं, कम से कम 2,778 फिलिस्तीनी की मौत हो चुकी है।

यूक्रेन के बाद अब अमेरिका इजरायल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। हमास से लड़ने के लिए अमेरिका ने इजरायल का खुलकर समर्थन किया है। हालांकि, कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति जो बाइडन ने इजरायल के द्वारा गाजा पट्टी पर की गई पूर्ण नाकाबंदी के खिलाफ चिंता जाहिर की थी।

इजराइल का दौरा करेंगे राष्ट्रपति बाइडन

सोमवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने जानकारी दी कि राष्ट्रपति जो बाइडन बुधवार को इजरायल के दौरे पर जाएंगे। इस दौरे को लेकर काफी चर्चा हो रही है। कयास यह लगाया जा रहा है कि बाइडन के इस दौरे के बाद मिडिल ईस्ट में स्थिति और चुनौतीपूर्ण ना हो जाए।

इस दौरे के जरिए बाइडन दुनिया को यह संदेश देना चाहते हैं कि अमेरिका इजरायल के साथ खड़ा है। बता दें कि यूक्रेन और इजरायल की मदद के लिए बाइडन ने अमेरिकी कांग्रेस से  2 बिलियन डॉलर से अधिक की अतिरिक्त सहायता की मांग की है।

खाड़ी देशों के साथ रिश्ते नहीं बिगाड़ना चाहता अमेरिका

गौरतलब है कि बाइडन ना सिर्फ इजरायल जाएंगे बल्कि वो जॉर्डन का भी दौरा करेंगे। यानी अमेरिका की कोशिश है कि इजरायल का साथ देते हुए वे खाड़ी देशों के साथ वो अपने रिश्तों को बिगड़ने ना दे।

ब्लिंकन ने कहा कि बाइडन को इजरायली अधिकारियों के जरिए युद्ध के उद्देश्यों और रणनीति के बारे में जानकारी दी जाएगी। व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने घोषणा की कि बाइडन, किंग अब्दुल्ला द्वितीय, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी और फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से मिलने के लिए जॉर्डन भी जाएंगे। 

कुछ दिनों पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सिसी, इराकी प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के साथ फोन पर बात की थी।

ईरान ने खुलकर किया हमास का समर्थन

व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने कहा है कि  ईरान को मोटे तौर पर पता था कि हमास इजरायल के खिलाफ संभावित हमले की तैयारी कर रहा था। लेकिन अमेरिका के पास इस दावे का कोई ठोस सबूत नहीं है। ईरान ने इस युद्ध को लेकर फलस्तीन और हमास का समर्थन किया है।

ईरान का कहना है कि फलस्तीन को अपनी रक्षा करने के लिए जिहाद (युद्ध) करने का अधिकार है। हालांकि, ईरान ने यह भी स्पष्ट किया कि इस युद्ध में उसने अब तक हमास का साथ नहीं दिया है।

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