आयकर विभाग ने 64 समितियों को भेजी नोटिस, नहीं मिला कोई जवाब

उत्तराखंड में बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियां आयकर (इनकम टैक्स) की जांच में फंस गई हैं। दरअसल, ये समितियां इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) भरने और ऑडिट से बच रहीं हैं। आयकर ने ऐसी 64 समितियों को नोटिस भी भेजे हैं, पर समितियों ने इनकम टैक्स के नोटिस का जवाब तक नहीं दिया।

सहकारी समिति को आयकर अधिनियम की धारा 80-एसी के तहत रिटर्न भरना जरूरी है। क्योंकि सहकारी समितियां माइक्रो फाइनेंस का काम करती हैं। धारा 80-पी में समिति को डिडक्शन (टैक्स छूट) मिलता है। शर्त यह होगी की पहले उसे धारा 80-एसी के तहत रिटर्न फाइल करना होगा। यही नहीं, समितियों को नियमानुसार आईटीआर फाइन करने से पहले ऑडिट भी करवाना पड़ता है। लेकिन उत्तराखंड में ऐसा नहीं हो रहा है। यहां समितियां न तो आईटीआर फाइल कर रही हैं और न ही उनका ऑडिट तक हो रहा है। इसका खुलासा इनकम टैक्स की जांच में हुआ है। अगर समितियों की ओर से आयकर अधिनियम की तहत तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है, तो इन समितियों क्रेडिट पर सीधा असर पड़ेगा।

नोटिस का जवाब नहीं आयकर विभाग अब तक प्रदेश की 80 सहकारी समितियों की जांच कर चुका है। इनकम टैक्स विभाग के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 में इनमें से 50 से अधिक समितियों ने ऑडिट नहीं कराया। 64 समितियों की ओर से आईटीआर तक फाइल नहीं की गई। इन सभी को जून में नोटिस जारी करने के बाद अगस्त में रिमाइंडर भी भेजे गए, जिनका जवाब अब तक नहीं मिला। अब इनकम टैक्स विभाग ने कोऑपरेटिव सोसाइटीज के रजिस्ट्रार को पत्र लिखा है।

जमा है बड़ी रकम उत्तराखंड में कई सहकारी समितियों का करोड़ों में कैश डिपॉजिट है। साथ में एक से दो करोड़ तक ब्याज की रकम भी समितियों के खातों में है। इनकम टैक्स के लिहाज से यह काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि ब्याज पर आयकर कटौती के प्रावधान के तहत समितियों को इसकी घोषणा अपनी आईटीआर में करनी होती है, जो नहीं किया जा रहा है।

इनकम टैक्स विभाग को लेन-देन पर संदेह

आयकर विभाग, सहकारी समितियों के पूरे वित्तीय लेन-देन को संदेह के घेरे में लेकर जांच कर रहा है। क्योंकि आईटीआर नहीं भरने और ऑडिट नहीं होने से कई तरह की वित्तीय चूक या टैक्स गड़बड़ियां होने की संभावनाओं से भी इनकम टैक्स विभाग इनकार नहीं कर रहा है।

टैक्स भरने के साथ ब्याज और जुर्माना भी देना होगा

आयकर विभाग के अनुसार समितियां जवाब नहीं दे रही हैं। लिहाजा भविष्य में उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई होगी। इन समितियों को टैक्स, ब्याज व जुर्माना सभी का भुगतान करना होगा। विभाग के अनुसार, जिन समितियों ने ऑडिट कराया भी है उसमें सचिव के हस्ताक्षर हैं, नियमानुसार ऑडिटर के हस्ताक्षर होने जरूरी होते हैं।

हां, आयकर विभाग के नोटिस मिले हैं। बहुउद्देश्यीय समितियों के सामने इस तरह की समस्या पूरे देश में आ रही है। हाल में केंद्र सरकार की ओर से ऐक्ट में कुछ संशोधन भी किया गया है। उनका अध्ययन किया जा रहा है। अध्ययन के आधार पर ही नोटिस के जवाब दिए जाएंगे। 

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