मणिपुर में दो छात्रों की मौत पर बवाल, लाठीचार्ज के बाद इंटरनेट सेवा हुई बंद

इंफाल, मणिपुर में अभी भी हिंसा की छिटपुट घटनाएं हो रही हैं। राजधानी इंफाल के सिंगजामेई इलाके में मंगलवार रात छात्रों और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) कर्मियों के बीच झड़प हो गई, जिसमें 45 प्रदर्शनकारी घायल हो गए। इसके बाद बुधवार (27 सितंबर) सुबह इलाके में स्थिति शांत लेकिन तनावपूर्ण रही।

ताजा हिंसा के बाद इंफाल घाटी में बड़ी संख्या में मणिपुर पुलिस, सीआरपीएफ और आरएएफ के जवानों को तैनात किया गया है। दरअसल, 6 जुलाई से लापता दो छात्रों की हत्या का विरोध कर रहे छात्र और स्थानीय लोगों से आरएएफ जवानों की मंगलवार रात झड़प हो गई। इसके बाद आरएएफ ने प्रदर्नकारियों के ऊपर आंसू गैस के गोले, रबर की गोलियां और लाठीचार्ज किया, जिसमें 45 छात्र घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों में अधिकतर छात्र हैं।

छुट्टी के बावजूद विरोध-प्रदर्शन पर अड़े छात्र

हिंसा को देखते हुए मणिपुर सरकार ने बुधवार को स्कूलों में छुट्टी की घोषणा कर दी है। मगर, इंफाल में कुछ संस्थानों के छात्रों ने अपने स्कूलों में इकट्ठा होने की बात कही है, जिसको देखते हुए बुधवार को विरोध-प्रदर्शन के तेज होने की आशंका है।

अप्रिय घटना को रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी

एक अधिकारी ने कहा, “किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सुरक्षा बढ़ा दी गई है।” सिंगजामेई में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है, हालांकि इलाके में दुकानें खुली रहीं और सड़कों पर वाहनों की आवाजाही जारी रही। आधिकारिक अधिसूचना में कहा कि राज्य सरकार ने आम जनता को दवाओं और भोजन सहित जरूरी सामानों की खरीद करने के लिए बुधवार को इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम जिले में सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक कर्फ्यू प्रतिबंधों में ढील दी।

हिंसा को देखते हुए मणिपुर में 2 दिन की छुट्टी

मणिपुर सरकार के अधिसूचना में कहा गया है, “झड़पों के बाद, राज्य सरकार ने गलत सूचना और अफवाहों के प्रसार को रोकने के लिए 1 अक्टूबर की शाम 7.45 बजे तक तत्काल प्रभाव से इंटरनेट मोबाइल सेवाओं पर बैन लगा दिया है। इसके अलावा सरकार ने राज्य में मौजूदा कानून-व्यवस्था को देखते हुए 27 और 29 सितंबर को स्कूलों में छुट्टी की घोषणा की है। मणिपुर में 28 सितंबर को मिलाद उन-नबी के मद्देनजर सार्वजनिक अवकाश है।

बता दें कि मणिपुर में 3 मई को जातीय झड़पें शुरू हो गई थीं, जिसमें अबतक 175 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। हिंसा बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित करने के बाद भड़की थी।

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