उत्तराखंड में भारी बारिश का कहर, ऊधमसिंह नगर में भराभराकर गिरे तीन मकान

उत्तराखंड में भारी बारिश की वजह से तबाही का मंजर है। लोगों का सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त है। इसी बीच ऊधमसिंह नगर में एक मकान भरभराकर गिर गया। यहां ढेला नदी में उफान आ गया। जिससे नदी किनारे बने घर ताश के पत्तों की तरह गिर गए। बताया जा रहा है कि नदी ने धीरे-धीरे कटान शुरू किया था। जिसके बाद मकान गिर गया। यहां रहने वाले लोग बेघर हो गए हैं। अब उन्हें सरकार से उम्मीद है। लोगों की मांग है कि सरकार उन्हें रहने के लिए आशियाना दे। वे डरे और सहमे हुए हैं।

देहरादून में जलभराव

आपदा कंट्रोल रूम देहरादून से सूचना प्राप्त हुई है कि सुशील नाम के कॉलर ने बताया है कि कालूवाला में जंगल से पानी बहुत अधिक मात्रा में आकर हमारे घरों में घुस गया है। सूचना पर कमांडेंट मणिकांत मिश्रा के आदेशानुसार एसडीआरएफ रेस्क्यू टीम आवश्यक रेस्क्यू उपकरणों को लेकर मुख्य आरक्षी मोहन सिंह के साथ तत्काल घटनास्थल के लिए रवाना हुई। एसडीआरएफ टीम द्वारा मौके पर पहुंचकर राहत एवं बचाव कार्य किया जा रहा है। टीम जेसीबी की मदद से पानी की निकासी का रास्ता बनाने का प्रयास कर रही है। प्रभावित लोगों की मदद की कोशिश जारी है।

बाढ़ सुरक्षा कार्य शुरू करने की मांग

ऋषिकेश में बाढ़ से त्रस्त खदरी खड़कमाफ के ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से बाढ़ सुरक्षा कार्य शुरू करने की मांग उठाई है। ग्रामीणों का आरोप है कि खदरी ग्राम समाज की भूमि पर राजाजी पार्क प्रशासन के एनओसी न देने ये यहां पक्का सुरक्षा कार्य नहीं हो पा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि खदरी के किसानों एवं ग्राम समाज की सैकड़ों बीघा भूमि हर वर्ष सौंग नदी की बाढ़ की भेंट चढ़ जाती है।

मुनिकीरेती अस्थायी ठिकानों में ठहरे हैं 300 से ज्यादा लोग

ऋषिकेश में मुनिकीरेती नगरपालिका का ज्यादातर इलाका आपदाग्रस्त है। 300 से ज्यादा लोग घरों में छतों तक मलबा आने से अस्थायी ठिकानों पर रहने को मजबूर हैं। हर रोज उन्हें तीन टाइम का खाना खिलाने के लिए पालिका करीब एक लाख रुपये खर्च कर रही है। लोगों के घरों से मलबा हटाने के लिए पालिका की आठ जेसीबी और 12 ट्रैक्टर-टॉलियों के साथ 150 श्रमिक लगे हैं। अब पालिका प्रशासन ने समाजसेवी और धार्मिक व अन्य संस्थाओं से खाना उपलब्ध कराने के लिए आगे आने का आह्वान किया है।

बारिश का बदला ट्रेंड बढ़ा रहा नुकसान

उत्तराखंड में इस साल बारिश के ट्रेंड ने विशेषज्ञों के माथे पर गहरे बल डाल दिए हैं। रुक-रुक कर हो रही मूसलाधार बारिश और तापमान के उतारचढ़ाव को भी काफी चिंताजनक माना जा रहा है। आए दिन रिकार्ड तोड़ती बारिश न तो भूगर्भीय जल के लिहाज से उपयोगी साबित हो रही और खेती के लिए भी लाभकारी नहीं मानी जा रही है। बारिश का पानी जमीन में रिसने की बजाय सीधा गदेरों-नदियों में मिलकर बाढ़ के रूप में तबाही जरूर मचा रहा है।

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