यहां ‘खिचड़ी’ रूप में विराजमान है भगवान शिव, श्री राम के वंशज के भक्ति से हुए थे प्रकट

सावन मास भगवान शिव को अर्पित होता है, इस दौरान सभी मंदिर भक्तों से भरे रहते हैं। महादेव की नगरी बनारस कई भव्य महाशिवलिंगों का घर है, जिनमें प्रसिद्ध गौरी केदारेश्वर मंदिर भी शामिल है, जिसकी महिमा असीमित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस शिवलिंग के दर्शन करने से उत्तराखंड में केदारनाथ के दर्शन के बराबर फल मिलता है।

इस चमत्कारी महाशिवलिंग पर भगवान भोले खिचड़ी से बने शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए हैं. देश के कोने-कोने से श्रद्धालु काशी के इस पवित्र स्थल की तीर्थयात्रा करते हैं। सावन माह के अलावा प्रत्येक सोमवार को यहां भक्तों की भारी भीड़ देखी जा सकती है।

नहीं मिलता भैरव यातना

भगवान शिव की नगरी कही जाने वाली काशी तीन खंडों में बसी है। प्रारंभिक भाग को केदारखंड, मध्य भाग को विशेश्वर और उत्तरी भाग को ओमकालेश्वर कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि केदारनाथ में गौरी केदारेश्वर के दर्शन से केदारखंड को भैरव की पीड़ा से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

ये है धार्मिक कथा

धार्मिक कथाओ के अनुसार, राजा मांदाता, जो भगवान राम के वंशज थे, भगवान शिव के एक समर्पित अनुयायी थे। वह प्रतिदिन केदारनाथ जाते थे और भगवान को खिचड़ी चढ़ाते थे। भगवान शिव के अनुरोध पर ही वह काशी आये और वहां घोर तपस्या में लीन हो गये। उनकी तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और स्वयं को खिचड़ी से गौरी केदारेश्वर के रूप में प्रकट किया। काशी के इस मंदिर में महादेव को 15 अलग-अलग रूपों में दर्शाया गया है।

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