भारत में इन शहरों में रखी है हजारो साल पुरानी ममी…
मिस्र की ममी का इतिहास काफी आकर्षक होता है। ये अपने आप में कई तरह के रहस्य समेटे रहते हैं। पिछले कई सालों के दौरान मिस्र में हजारों ममी की खोज की गयी। इनमें से कुछ ममी ने भारत तक का सफर तय किया और देश के विभिन्न म्यूजियम में इन्हें रखा गया है।
आइए आपको उन शहरों के बारे में बताते हैं जहां ममी रखी हुई है
कोलकाता
शहर के पार्क स्ट्रीट इलाके में स्थित इंडियन म्यूजियम के इजिप्शियन गैलरी का मुख्य आकर्षण यहां रखा करीब 4000 साल पुराना ममी है। म्यूजियम में इस ममी को एक ताबुत में रखा गया है जिसे किसी भी पर्यटक को छूने की इजाजत नहीं है। हालांकि म्यूजियम में आने वाले लोग इसे दूर से देख सकते हैं। बंगाल के एशियाटिक सोसायटी में रखे दस्तावेजों के अनुसार इस ममी को मिस्र के लक्सर में नील नदी के पश्चिमी तट पर गौरवाह में शाही मकबरों से काफी कठिनाई से प्राप्त किया गया था।
मुंबई
छत्रपति शिवाजी वास्तु संग्रहालय में करीब 2500 साल पुरानी एक ममी रखी हुई है। यह ममी संग्रहालय में 20वीं सदी की शुरुआत से ही रखी हुई है। यह ममी किसी पुरुष की बतायी जाती है जो मिस्र में मिलने वाली देवदार की लकड़ी के एक ही लट्ठे से बनाये गये ताबूत में बंद थी।
लखनऊ
लखनऊ के चिड़ियाघर में स्थित राज्य संग्रहालय में करीब 3000 साल पुरानी ममी रखी हुई है। यह ममी केमिकल युक्त कपड़े में लपेटा हुआ है। इस ममी के पैर के पास से थोड़ा सा कपड़ा उधड़ गया है, जिसकी वजह से अंगुठा और ऊंगलियां साफ दिखाई देती हैं। इसे देखकर ऐसा लगता है मानो यह ममी अभी भी जीवंत है। जाहिर सी बात है कि आपको यह सोचकर जरूर आश्चर्य हो रहा होगा कि आखिर ममी को संरक्षित करने में कौन से केमिकल का इस्तेमाल होता होगा! यह ममी एक 13 साल की बच्ची का बताया जाता है जिसे 1952 में जेजेई पॉटर नामक एक ब्रिटिश नागरिक ने खरीदा था।
वड़ोदरा
1895 में सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय न्यूयॉर्क म्यूजियम से 175 डॉलर में एक ममी खरीदकर वड़ोदरा लाए जिसे बड़ौदा म्यूजियम एंड पिक्चर गैलरी में रखा गया है। यह ममी टॉलेमी काल की किसी महिला का बताया जाता है जब संभवतः टॉलेमी द्वितीय का शासनकाल था। यह ममी काफी अच्छे आकार और स्थिति में हैं। भारत में मिस्र की अन्य ममियों की तुलना में इसका आकार काफी बड़ा है।
हैदराबाद
हैदराबाद के वाई एस राजाशेखर रेड्डी स्टेट म्यूजियम में 1.40 मीटर लंबी पट्टियों में लिपटी ममी रखी हुई है। यह ममी 2500 ईसा पूर्व मिस्र के छठे फराओ की बेटी नसिहू की बतायी जाती है। हैदराबाद के नवाब नजीर नवाज जंग ने करीब 1930 में 1000 पाउंड में एक निलामी में इसे खरीदकर हैदराबाद लाए थे। यह ममी 4 हिस्सों में बंटी हुई है। चेहरे पर पेंट किया हुआ मुखौटा, कॉलर के साथ छाती वाला हिस्सा, पैरों पर रखा हुआ एप्रन और पट्टियों के कई लेयर में टखनों से बंधा बुट।
जयपुर
जयपुर म्यूजियम के अल्बर्ट हॉल में पुजारी परिवार की सदस्य एक महिला टूटू की ममी रखी हुई है। यह ममी मिस्र के पैनोपोलिस के अख्मीम क्षेत्र के एक पिरामिड में मिली थी। इसे 1887 में मिस्र के संग्रहालय ने जयपुर रियासत के तत्कालिन राजा सवाई माधो सिंह द्वितीय को प्रदर्शनी के लिए प्रदान किया था।