देहरादून नगर निगम का वेतन बना हुआ है सबसे बड़ा मर्ज, जानिए पूरा मामला

देहरादून: क्षेत्रफल और जनसंख्या के लिहाज से प्रदेश का सबसे बड़ा देहरादून नगर निगम आर्थिक मामले में आत्मनिर्भर जरूर है, लेकिन हर साल वेतन पर हो रहा खर्च निगम के वित्तीय प्रबंधन का सबसे बड़ा मर्ज बना हुआ है। भले शहर में विकास कार्यों और मूलभूत सुविधा के लिए निगम को समझौता करना पड़े, लेकिन वेतन पर सालाना 90 करोड़ रुपये खर्च करना उसकी मजबूरी बन चुका है।

जूझ रहे हैं 31 नए वार्ड

वर्ष-2017 में हुए सीमा विस्तार व नए परिसीमन के बाद बनाए गए पुराने निगम क्षेत्र के 69 वार्डों पर तो निगम की ‘कृपा’ फिर भी बनी रहती है, लेकिन 72 ग्राम सभाओं को शहरी क्षेत्र में शामिल कर बनाए गए 31 नए वार्डों में आज भी मूलभूत जन सुविधाओं की कमी बनी हुई है। वर्ष-2018 के निकाय चुनाव से पहले दून नगर निगम में 60 वार्ड थे और इसका क्षेत्रफल 64.48 वर्ग किमी था।

2011 में जनसंख्या और क्षेत्रफल

उस दौरान वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार शहर की जनसंख्या 5,69,578 थी। निकाय चुनाव से पूर्व राज्य सरकार ने शहर का सीमा विस्तार करते हुए इससे सटी 72 ग्राम सभाओं को दून नगर निगम में सम्मिलित कर लिया। इसी के साथ पुराने शहर का परिसीमन भी किया गया।

बढ़ गया क्षेत्रफल

पुराने 60 वार्डों के परिसीमन से 69 वार्ड बनाए गए जबकि नए 72 ग्राम सभाओं से 31 वार्ड बने। इससे शहर का क्षेत्रफल बढ़कर 185 वर्ग किमी का हो गया, जबकि जनसंख्या 8,03,982 पहुंच गई। हालांकि, वर्तमान में अनुमान के अनुसार दून शहर की जनसंख्या 12 लाख से ऊपर है। बात पुराने शहरी क्षेत्र की करें तो हाल फिर भी ठीक हैं, लेकिन नए 31 वार्ड स्वच्छता, स्ट्रीट लाइट, गली या नाली निर्माण जैसे कार्यों से अभी भी पूरी तरह सुविधाजनक नहीं हो पाए।

क्या निगम के पास पैसा नहीं?

ऐसा नहीं कि निगम कर्जदार है या विकास कार्यों के लिए उसे कर्ज लेने की जरूरत है, लेकिन नए वार्डों में विकास कार्यों को लेकर वह राज्य सरकार का मुंह ताक रहा है। इसके पीछे निगम अधिकारी तर्क दे रहे कि राज्य वित्त आयोग से उसे मौजूदा समय में वही राशि मिल रही जो 60 वार्डों के समय मिलती थी, यदि सरकार राशि को बढ़ा दे तो वह नए वार्डों में पर्याप्त खर्च कर सकता है।

मौजूदा वक्त में नगर निगम शहरीजन की मूलभूत सुविधा मसलन, स्वच्छता, गली व नाली निर्माण, पथ प्रकाश आदि पर सालाना 30 से 35 करोड़ रुपये खर्च होने का दावा कर रहा। आय पर गौर करें तो उसे सालाना राज्य वित्त आयोग से 101 करोड़ और केंद्र वित्त आयोग से 25 करोड़ रुपये मिलते हैं। भवन कर, फड़-ठेली शुल्क और अन्य मदों में उसकी आय अब तक 55 करोड़ रुपये थी।

खर्च और कमाई

इस बार यानी वित्तीय वर्ष 2022-23 में निगम ने पहली बार भवन कर की वसूली में 52 करोड़ रुपये का लक्ष्य हासिल किया। इस मद में निगम की अब तक की सर्वाधिक वसूली 45 करोड़ रुपये थी। भवन कर में बढ़ी वसूली से निगम प्रशासन सुकून में जरूर दिख रहा, लेकिन 176 करोड़ रुपये सालाना बजट में से 90 करोड़ रुपये वेतन पर खर्च होना उसकी सबसे बड़ी चिंता भी बना हुआ।

निगम अधिकारियों की मानें तो वर्ष 2022 से पहले वेतन पर करीब 81 करोड़ रुपये सालाना खर्च आ रहा था, लेकिन सरकार की ओर से महंगाई भत्ते में की गई बढ़ोत्तरी के बाद वेतन और पेंशन का सालाना खर्च तकरीबन 90 करोड़ रुपये पहुंच गया है।

दो अधिकारियों का वेतन देती है सरकार, बाकी 2497 का निगम

निगम में स्थायी व अस्थायी अधिकारियों व कर्मचारियों को मिलाकर कुल ढाई हजार कार्मिक हैं। इनमें नगर आयुक्त समेत 2497 कार्मिकों का वेतन निगम स्वयं वहन करता है, जबकि दो अधिकारियों का वेतन राज्य सरकार देती है। तीन में मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी व मुख्य नगर लेखा परीक्षक शामिल हैं।

नगर निगम की प्रमुख जिम्मेदारी

  • नाले/नालियों की सफाई-रख-रखाव।
  • वार्ड की भीतरी सड़कों का निर्माण और उनकी सफाई/ झाड़ू और गंदगी, कूड़ा आदि हटाना।
  • घर-घर से कूड़ा उठान की नियमित सेवा देना व उसका निस्तारण करना।
  • श्मशान और कब्रिस्तानों का रखरखाव और संचालन करना।
  • जन्म और मृत्यु पंजीकरण व प्रमाण-पत्र जारी करना।
  • अस्पताल डिस्पेंसरी बनवाना।
  • स्लाटर हाउस और वेंडिंग जोन बनवाना।
  • खतरनाक बीमारियों की रोकथाम और इलाज (वैक्सीन का इंतजाम करना)।
  • शिक्षा को बढ़ावा देना प्राइमरी स्कूल के स्तर पर व लाइब्रेरी बनवाना।
  • लावारिस और यतीम बच्चों के घर बनवाना।
  • जच्चा-बच्चा केंद्र बनाना और उनका रखरखाव।
  • खतरनाक भवनों की पहचान और उन्हें ध्वस्त करना।
  • अवैध निर्माण, अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करना।
  • पथ प्रकाश की व्यवस्था करना।
  • गलियों के नाम व घरों के नंबर देना।
  • आमजन के लिए पार्क बनाना और उनकी देख-भाल करना।
  • आमजन के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए योजना बनाना और लागू करना।
  • बेसहारा और गरीब बेघर जन के रहने के लिए रैन-बसेरे बनवाना।
  • वाहनों की पार्किंग और शेड बनवाना।
  • सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण, सफाई और रखरखाव करना।

देहरादून के महापौर, सुनील उनियाल गामा का कहना है कि नगर निगम विकास कार्यों के लिए बजट से समझौता नहीं कर रहा। वार्डों को बजट समान रूप से पर्याप्त दिया जा रहा। वेतन पर सर्वाधिक बजट खर्च हो रहा, जो बड़ी चिंता जरूर है, लेकिन निगम प्रयास कर रहा है कि अपने संसाधनों को बढ़ाकर बजट की तंगी को दूर करे।

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