शिवसेना पहले भी अजमा चुकी है मशाल चुनाव निशान, तब पार्टी के पास थी ये मजबूरी …
मुंबई : भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने सोमवार को शिवसेना के उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले धड़े को ‘जलती हुई मशाल’ का चुनाव निशान आवंटित करने का फैसला किया है. इसके साथ ही उनको एक नया नाम शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) भी आवंटित किया गया है. जलती हुई मशाल का चुनाव निशान बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना पहले भी उपयोग कर चुकी है. 1985 में पार्टी के छगन भुजबल ने जलती हुई मशाल के चुनाव निशान पर चुनाव जीता था. तब पार्टी का कोई चुनाव निशान नहीं था.
1985 में महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के एकमात्र विधायक छगन भुजबल मझगांव निर्वाचन क्षेत्र से जलती हुई मशाल के चुनाव निशान पर जीते थे. एक स्थाई चुनाव चिह्न के अभाव में भुजबल और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर जोशी सहित शिवसेना के दूसरे उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ने के लिए कई चुनाव निशानों का चयन किया था. अन्य चुनाव निशानों में उगता सूरज, बल्ला और गेंद थे. भुजबल ने कहा कि तब चुनाव प्रचार काफी हद तक वॉल पेंटिंग और वॉल राइटिंग से लड़ा जाता था. जलती हुई मशाल को दीवारों पर बनाना बेहद आसान था.
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भुजबल ने कहा कि तब उनके पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए वे भी वॉल पेंटिंग बनाते थे. जलती हुई मशाल बनाना उनके लिए भी सबसे आसान था. उस समय वे विधानसभा में शिवसेना के अकेले विधायक थे. भुजबल अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में हैं. जब तक शिवसेना को राजनीतिक पार्टी की मान्यता नहीं मिली थी, तब तक उसने ढाल और तलवार, उगते सूरज, रेलवे इंजन, ताड़ के पेड़ आदि के चुनाव निशानों पर चुनाव लड़ा. पार्टी को 1989 में अपना चुनाव निशान धनुष और तीर मिला था, साथ ही एक राज्य पार्टी के रूप में शिवसेना को मान्यता दी गई थी.