क्या कभी पृथ्वी पर भी दिख सकता है किसी ब्लैक होल का असर

दिल्लीः ब्लैक होल (Black Hole) ब्रह्माण्ड (Universe) के सबसे रोचक पिंडों में से एक हैं. शुरू से ही उनके बारे में बताया गया था कि वे ऐसे पिंड होते हैं जो प्रकाश सहित सभी कुछ अपने अंदर खींचने की क्षमता रखते हैं. तभी से उनको लेकर कौतूहल पैदा हो गया था. उनके बारे में जानना बहुत मुश्किल होता है. खगलोविदों ने ऐसे बहुत से स्थान देखे हैं जहां पास के तारे और अन्य पदार्थ ब्लैक होल की ओर जा रहे हैं. लेकिन क्या ब्लैक होल हमारी पृथ्वी (Earth) पर भी कोई असर डाल सकेंगे. आइए जानने का प्रयास करते हैं कि इस बारे में क्या कहता है विज्ञान?

ब्लैक होल और गुरुत्व
सबसे पहले हम यह जानते हैं कि आखिर ब्लैक होल हैं क्या और ये इतने खतरनाक क्यों माने जाते है. ब्लैक होल की शक्ति उनके छोटे आकार में समाया हुआ बहुत ही ज्यादा भार है जिससे उनमें एक शक्तिशाली गुरुत्व आ जाता है जिससे वे आसपास के प्रकाश तक को खींचने में सक्षम हो जाते हैं.

घटना क्षितिज
इस गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण ही इसके पास पहुंचने से हर पदार्थ इसके अंदर समाने लगता है. और यदि वह पदार्थ प्रकाश की गति से भी तेज होकर ब्लैक होल से निकलने का प्रयास करे तो भी बाहर नहीं निकल सकता है. वह सीमा जहां से आगे जाकर वापस बाहर आना नामुमकिन हो जाता है, उसे ही घटना क्षितिज या इवेंट होराइजन (Event Horizon) कहते हैं.

स्पैगटिफिकेशन प्रक्रिया
ब्लैक होल को खतरनाक या घातक होने की एक और वजह है उसकी स्पैगटिफिकेशन प्रक्रिया. इसमें जब भी कोई वस्तु घटना क्षितिज को पार कर रही होती है तो वह सेवइंया के आटे की तरह खिंचकर बिखने लगती है और टूटने लगती है. ऐसा उन तारों के साथ भी होता है जिसे ब्लैक होल निगल रहा है.

ज्वारीय बल
इसमें ब्लैक होल के पास वाला हिस्सा ज्यादा मजबूती और तेजी से अंदर खिंचता है. वहीं जो हिस्सा ब्लैक होल से दूर होता है उसमें पास की तुलना में बल कुछ कमजोर होता है. गुरुत्व के खिंचाव के  इस अंतर, जिसे ज्वारीय बल कहते हैं, जिसकी वजह से तारा टूटने लगता है. इसी तरह का प्रभाव स्पैगटी बनाने के दौरान भी दिखाई देता है. इसीलिए इस परिघटना का नाम स्पैगटिफिकेशन पड़ा.

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