अनमोल शब्द

शेख सादी अरब के बहुत बड़े शायर और विद्वान हुए हैं। जब शेख सादी 90 वर्ष के हुए तो अरब के सुलतान ने उनके पास एक बेशकीमती हीरा भेजा और लिखा, ‘सारी जिंदगी आपने शायरी लिखने में व्यतीत कर दी, फिर भी आप इस हीरे के बराबर कीमत की दौलत नहीं पा सके होंगे।

यदि इस हीरे के जोड़ की कोई कविता या शायरी आपके पास हो तो भेज दें और उसकी कीमत के रूप में इस हीरे को अपने पास रख लें।

’ उन्होंने जवाब में सुलतान को बड़ी शालीनता से लिखा, ‘सुलतान! आप मेरी शायरी का मूल्य लगा रहे हैं, परंतु शायद आपको मालूम नहीं है कि मेरी शायरी का एक-एक शब्द आपके हीरे से कहीं ज्यादा कीमती है।

मेरे शब्द दो बिछड़े हुए दिलों को जोड़ने की क्षमता रखते हैं, जबकि आपका हीरा दो इनसानों के बीच खून-खराबे का जरिया ही बनता है।

मेरे शब्द ईश्वर के सिंहासन को हिलाने की क्षमता रखते हैं, लेकिन आपका हीरा किसी भूखे इनसान की भूख मिटाने में एक चने की भी बराबरी नहीं कर सकता, उलटे उसके लिए काल साबित हो सकता है।

इसलिए आपका हीरा आपको ही मुबारक हो। मुझे इसकी आवश्यकता नहीं है।’ हीरा वापस पाकर सुलतान पहले विस्मित हुआ, लेकिन पत्र पढ़ते ही उसे अपनी भूल का अहसास हो गया।

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