पिछली MVA सरकार के कुछ आदेशों पर रोक के फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती
दिल्लीः 20 से 25 जुलाई के बीच पारित विभिन्न प्रस्तावों को चुनौती दी गई है.
बंबई उच्च न्यायालय में सोमवार को एक याचिका दायर कर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी गई, जिसमें उसने पिछली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार द्वारा शुरू की गई नियुक्तियों और विकास परियोजनाओं से संबंधित परिपत्रों पर रोक लगाने का फैसला किया था. पांच व्यक्तियों द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार ने पिछली एमवीए सरकार द्वारा पारित आदेशों को रद्द करने के लिए चार प्रस्ताव जारी किए थे. याचिका दायर करने वालों में से कुछ भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता हैं.
याचिका में कहा गया है, ‘संबंधित प्रस्ताव क्षेत्राधिकार के बाहर के हैं और मुख्यमंत्री (एकनाथ शिंदे) को पिछली सरकार के फैसलों पर रोक लगाने या उन्हें रद्द करने का अधिकार नहीं है, जो कानूनी रूप से उठाए गए थे.’ याचिकाकर्ता के वकील एस बी तालेकर ने सोमवार को न्यायमूर्ति एस वी गंगापुरवाला की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया, जिसने कहा कि इस पर इस सप्ताह के अंत में सुनवाई होगी. याचिका में कहा गया है, संविधान के अनुच्छेद 164(1ए) के अनुसार, मंत्रिपरिषद का गठन करने के लिए कम से कम 12 मंत्री होने चाहिए और वर्तमान में मंत्रियों की कुल संख्या केवल दो (शिंदे और फडणवीस) है.
याचिका में 20 से 25 जुलाई के बीच पारित विभिन्न प्रस्तावों को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है, ‘विधिवत गठित मंत्रिपरिषद की अनुपस्थिति में, सरकार को विकास परियोजनाओं पर रोक लगाने और सांविधिक बोर्ड, आयोगों और समितियों के सदस्यों की नियुक्तियों को रद्द करने के ऐसे बड़े फैसले नहीं लेने चाहिए थे.’ इन प्रस्तावों द्वारा वैधानिक निकायों, समितियों में गैर-सरकारी सदस्यों की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई थी. याचिका में कहा गया है, ‘पिछली सरकार द्वारा लिए गए आदेशों पर रोक लगाने का निर्णय बिना किसी वैध कारण के लिया गया और मनमाने तरीके से पारित किया गया है.’