उत्तराखंड की मांग को महिलाओं की भागीदारी

उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर महिलाओं ने आगे रहते हुए सड़कों पर आंदोलन चलाया। लेकिन मातृशक्ति की यह आवाज अलग राज्य की विधानसभा में दबकर रह गई है।

महिला प्रत्याशी की याद सियासी दलों को उपचुनावों में दिवंगत नेता के नाम पर सहानुभूति वोट जुटाने के समय ही आती है। सामान्य निर्वाचन में कभी महिला विधायकों की सख्ंया दस प्रतिशत से ऊपर नहीं पहुंच पाई है।

उत्तराखंड विधानसभा में निर्वाचित विधायकों की संख्या 70 है। 2017 के निर्वाचन के बाद महज पांच महिलाएं ही सदन में पहुंच पाई। बाद में हुए उपचुनावों में दो और महिलाएं निर्वाचित हुई।

इस तरह पहली बार सदन में महिला विधायकों की संख्या दस प्रतिशत तक पहुंच पाई। हालांकि डॉ. इंदिरा हृदयेश के निधन से फिर महिला विधायकों की संख्या वर्तमान में छह ही रह गई है।

इसी तरह 2012 में भी पांच महिलाएं ही सदन के लिए निर्वाचित हो पाई थी, जबकि उससे पहले के दो चुनावों में कुल चार – चार महिला विधायक ही निर्वाचित हो पाई थी।

वर्तमान में प्रदेश में महिला मतदाताओं की संख्या 37.40 लाख है, जो कुल मतदाता संख्या के करीब 48 प्रतिशत है। लेकिन महिला विधायकों की संख्या कभी भी दहाई की संख्या तक नहीं पहुंच पाई है। 

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