अलीगढ़ में यमुना में आई बाढ़ ने मचाई तबाही, सैकड़ों किसानों की हजारों बीघा फसल में भरा पानी

यमुना की बाढ़ ने पिछले दिनों जिले में भी खूब नुकसान किया था। कई गांव के सैंकड़ों किसानों की हजारों बीघा फसल पानी में डूब गई थी। कई दिनों तक इस फसल में पानी भरा रहा था। किसानों को उम्मीद थी कि इस नुकसान के लिए सरकार से मुआवजा मिल जाएगा लेकिन, प्रशासन के सर्वे में किसानों का नुकसान मुआवजा मानक से कम है।

जुलाई के पहले सप्ताह से ही यमुना ने लिया रौद्र रूप

निर्धारित नियमों के तहत 33 प्रतिशत नुकसान पर ही मुआवजा वितरित किया जाता है लेकिन, अधिकतर किसानों का नुकसान 16 प्रतिशत के करीब है। जुलाई के पहले सप्ताह से ही जिले में यमुना ने रौद्र रूप धारण कर लिया था। 2013 के बाद पहली बार जिले में इस तरह की बाढ़ देखने को मिली थी।

दस हजार बीघा से अधिक फसल डूबी

यमुना से सटे महाराजगढ़, शेरपुर, रामगढ़ी, नगला अमर सिंह, पखोदना समेत अन्य क्षेत्रों तक पानी पहुंच चुका था। कई गांव के तो अंदर तक पानी थी। संपर्क मार्ग टूट गए थे। इससे किसानों की भी फसल जलमग्न हो गई थी। संभावना जताई जा रही थी कि 10 हजार बीघा से अधिक फसल इन गांव में डूब गई है। धान व सब्जियों की बारी को सबसे अधिक नुकसान हुआ था।

सर्वे में यमुना बाढ़ से कुल 61 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि प्रभावित 

किसान फसल के नुकसान की भरपाई के लिए प्रशासन से मुआवजे की उम्मीद लगाए बैठे थे लेकिन, अब पानी कम होने के बाद सर्वे पूरा हो गया है। इसमें काफी चौंकाने वाली स्थिति सामने आई है। प्रशासनिक अफसरों के मुताबिक यमुना की बाढ़ से कुल 61 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि प्रभावित हुई थी। इसमें कुल 16 प्रतिशत ही नुकसान हुआ है।

इन जगहों पर इतना प्रतिशत नुकसान

इसमें महाराजगढ़ में 16 प्रतिशत, शेरपुर में 17 प्रतिशत, रामगढ़ी मालव में 14 प्रतिशत, नगला अमर सिंह ऊंटासानी में 16 प्रतिशत व पखोदना में 14 प्रतिशत नुकसान हुआ है जबकि, शासन से निर्धारित नियमों के तहत 33 प्रतिशत नुकसान पर ही मुआवजा वितरित किया जा सकता है। ऐसे में जिले में किसी भी किसान को मुआवजा नहीं मिलेगा।

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