छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में भारत नेट प्रोजेक्ट को लेकर उठाया मुद्दा

दिल्लीः

छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो गया है. राज्य सरकार ने मानसून सत्र के पहले दिन बुधवार को विधानसभा में बताया कि जिस एजेंसी को ‘भारत नेट परियोजना’ के दूसरे चरण के तहत कार्यों का ठेका दिया गया था, उसकी समय-सीमा छह बार बढ़ाई गई और काम पूरा नहीं करने पर कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है. विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर के सवाल के लिखित जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि परियोजना के दूसरे चरण के तहत 5,987 ग्राम पंचायतों में एक साल के भीतर ब्रॉडबैंड कनेक्शन लगाने थे और काम का ठेका 18 जुलाई 2018 को टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड को दिया गया था.

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस वर्ष 31 मई तक 5,036 ग्राम पंचायतों में काम पूरा हो चुका है, जबकि 951 ग्राम पंचायतों में कार्य अधूरा है, जिसे पूरा करने के लिए एक वर्ष की समय सीमा निर्धारित की गई है. बघेल ने बताया है कि जिस एजेंसी को कार्य आवंटित किया गया था, उसकी समय सीमा में छह बार वृद्धि की गई है. उन्होंने बताया कि समय पर कार्य पूरा नहीं करने पर कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है और वर्तमान में कार्रवाई प्रक्रियाधीन है.

मुख्यमंत्री ने अपने जवाब में बताया है कि इस वर्ष 31 मई तक परियोजना में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 2464.14 करोड़ रुपए तथा राज्य की हिस्सेदारी 112.82 करोड़ रुपए थी. राज्य सरकार के एक अधिकारी बताया कि भारत नेट परियोजना के तहत राज्य भर में ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क के माध्यम से तेज गति इंटरनेट से जोड़ा जाएगा. अधिकारी ने बताया कि इसके पहले चरण में लगभग चार हजार पंचायतों को शामिल किया गया था. उन्होंने बताया कि परियोजना के दूसरे चरण के तहत ऑप्टिकल फाइबर ज्यादातर उन ग्राम पंचायतों में नहीं लगाया जा सका है, जो संरक्षित वन क्षेत्रों में स्थित हैं तथा व​न विभाग से इसकी मंजूरी लंबित है. अधिकारी ने बताया कि राज्य के वन विभाग ने पर्यावरण और वन मंत्रालय को पत्र लिखकर इस संबंध में मार्गदर्शन मांगा है.

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