अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने कहा “संविधान गर्भपात का अधिकार प्रदान नहीं करता”

दिल्लीः अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात (US Abortion Law)को कानूनी तौर पर मंजूरी देने वाले पांच दशक पुराने ऐतिहासिक रो बनाम वेड फैसले को पलट दिया है. ऐसे में अब अमेरिकी महिलाओं के लिए गर्भपात के हक का कानूनी दर्जा खत्म हो जाएगा. इसमें राहत की बात यह है कि अमेरिका के सभी राज्य गर्भपात को लेकर अपने-अपने अलग नियम बना सकते हैं.

आइए जानते हैं क्या है अबॉर्शन लॉ और क्यों कोर्ट ने इसे खत्म कर दिया…

क्या है रो बनाम वेड फैसला?
रो बनाम वेड (Roe vs Wade Decision)का ऐतिहासिक फैसला नॉर्मा मैककॉर्वी नाम की एक महिला की याचिका पर आया था. अदालती कार्यवाही में उनको ही ‘जेन रो’ नाम दिया गया है. दरअसल, मैककॉर्वी 1969 में अपना अबॉर्शन कराना चाहती थीं. उनके पहले से ही दो बच्चे थे. वह टेक्सास में रहती थीं जहां गर्भपात गैरकानूनी है, उसकी इजाजत तभी दी जा सकती है जब गर्भ धारण करने से मां की जान को खतरा हो. मैककॉर्वी ने फेडरल कोर्ट में याचिका दाखिल कर दावा किया कि टेक्सास का गर्भपात कानूनी असंवैधानिक है. इस मुकदमे में बचाव पक्ष के तौर पर तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी हेनरी वेड का नाम था. हालांकि, नॉर्मा मैककॉर्वी को तब गर्भपात कराने की अनुमति नहीं मिल सकी थी.

महिला की याचिका के दो साल बाद आया फैसला
इसके दो साल बाद जनवरी 1973 में सुप्रीम कोर्ट ने मैककॉर्वी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि गर्भ का क्या करना है, गर्भपात कराना है या नहीं, ये तय करना महिला का अधिकार है. जो बनाम वेड का ये फैसला ऐतिहासिक रहा जिसने अमेरिकी महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात का अधिकार दिया. इसके बाद अमेरिका के अस्पतालों के लिए महिलाओं को गर्भपात की सुविधा देना कानूनी तौर पर बाध्यकारी हो गया था.

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